15/06/2025

फ़िल्म समीक्षा: जाट

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‘जाट’ असल में साउथ इंडियन स्टाइल में 80 के दशक वाले ‘एंग्री यंग मैन’ सनी देओल की वापसी है, जो विशेष रूप से उस किस्म की मसाला फिल्मों के शौकीनों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिनमें दिमाग लगाना या लॉजिक ढूढ़ना बेवकूफी होगी।

‘जाट’ की समीक्षा

कहानी बहुत आसान है लेकिन इस तरह की फ़िल्म में यही चाहिए होता है! एक बिल्कुल कसाई टाइप विलेन राणातुंगा (रणदीप हुड्डा) हैं जो इंसान को गाजर मूली की तरह काट देता है और एक जाट बुद्धि वाला जोशीला भारतीय (सनी देओल) जो पूरी गैंग के लिए अकेला काफी है! निर्देशक ने इन दोनों जाट बुद्धि के दम पर खून खराबा वाला एक्शन, थोड़ा सा इमोशन और थोड़ी सी देशभक्ति जोड़कर मसालेदार फ़िल्म बना दी है! 67 साल के सनी देओल आज भी एक्शन करते हुए सहज लगे जिसकी वजह से पूरी फ़िल्म चल पाई। ये सनी की सालों की मेहनत है जो उन्हें अब भी फल दे रही है। हालांकि उनकी डायलॉग डिलीवरी अब उतनी असरदार नहीं रही। सनी पाजी को निकाल दें तो पूरी फ़िल्म एक दक्षिण भाषाई फ़िल्म की तरह है। खूंखार विलेन राणातुंगा के रोल में रणदीप ने अच्छा अभिनय किया है। उनके छोटे भाई के रोल में विनीत कुमार सिंह भी जमे हैं। सैयामी खेर ने पुलिस इंस्पेक्टर का रोल किया है जबकि राम्या कृष्णन ने राष्ट्रपति साहिबा का छोटा सा रोल किया है। कहानी पूरी तरह काल्पनिक है। कोई थ्रिल नहीं है लेकिन एक्शन और सनी पाजी की टशनबाजी ने बांधे रखा है!
रणदीप हुड्डा ने क्रूर, लेकिन लेयर्ड विलेन का किरदार बखूबी निभाया है। विनीत कुमार सिंह ने पहली बार नेगेटिव रोल में चौंकाया है, जो खतरनाक होने के साथ बेहद इंटेंस भी है। रेजिना कैसेंड्रा की चालाक, खतरनाक बीवी और सायामी खेर की बहादुर पुलिस अफसर ने कहानी को बैलेंस दिया है। इस तरह से हर कलाकार ने अपनी छाप छोड़ी है।

देखें या न देखें

‘जाट’ एक टिपिकल सनी देओल फिल्म है। सनी देओल खुद आपको चिल्ला-चिल्लाकर बताते हैं- “इस ढाई किलो के हाथ की गूंज नॉर्थ सुन चुका है, अब साउथ सुनेगा।” सिनेमा की दृष्टि से फ़िल्म में कुछ नहीं लेकिन एक खास दर्शक वर्ग के लिए मनोरंजन अवश्य है! सनी पाजी के फैन हो तो ज़रूर देखें   ⭐⭐⭐ ~गोविन्द परिहार  (13.04.25)
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