29/04/2024

बॉलीवुड की टॉप-10 बायोपिक फ़िल्में

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बॉलीवुड की टॉप-10 बायोपिक फ़िल्में / Top 1o Biopic Films of Bollywood

10. नीरजा / Neerja (2016)

निर्देशक- राम माधवानी लेखक- साइवन कौद्रस, संयुक्ता चावला शेख

विशेष टिप्पणी- मुंबई की एयर होस्टेस नीरजा भनोट की जीवनी पर आधारित यह फ़िल्म देखने लायक है।  5 सितंबर 1986 के मुम्बई से न्यूयॉर्क जा रहे पैन एम फ्लाइट 73 के अपहृत विमान में यात्रियों की सहायता एवं सुरक्षा करते हुए वे आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गईं थीं। उनकी बहादुरी के लिये मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार ने शान्ति काल के अपने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया और साथ ही पाकिस्तान सरकार और अमरीकी सरकार ने भी उन्हें इस वीरता के लिये सम्मानित किया है। सोनम कपूर, शबाना आज़मी, योगेन्द्र टिकू, शेखर रावजिआनी, कवि शास्त्री आदि कलाकारों के अभिनय से सजी इस फ़िल्म को 2 नेशनल अवार्ड सहित 6 फ़िल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया है।

9. तानाजी : द अनसंग वॉरियर / The Unsung Warrior (2020)

निर्देशक- ओम राउत लेखक- प्रकाश कपाड़िया

विशेष टिप्पणी- तन्हाजी: द अनसंग वारियर 2020 की भारतीय हिंदी-भाषी जीवनी अवधि की एक्शन फिल्म है जिसमें अजय देवगन, सैफ अली खान और काजोल ने अभिनय किया है। 17 वीं शताब्दी में स्थापित, यह कहानी तानाजी मालुसरे के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें कोंधना किले को फिर से हासिल करने के उनके प्रयासों को दर्शाया गया है, जो एक बार मुगल सम्राट औरंगज़ेब के पास जाता है, जो अपने भरोसेमंद संरक्षक उदयभान सिंह राठौड़ के पास अपना नियंत्रण स्थानांतरित करता है। इसमें शिवाजी के किरदार में शरद केलकर ने जबरदस्त अभिनय किया है। यह फ़िल्म अजय देवगन के फ़िल्मी करियर की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट है। फ़िल्म ने 4 फ़िल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किये हैं।

8. संजू / Sanju (2018)

निर्देशक- राजकुमार हिरानी लेखक- राजकुमार हिरानी, अभिजात जोशी

विशेष टिप्पणी- फ़िल्मस्टार संजय दत्त के जीवन पर आधारित है संजू। संजय दत्त के ड्रग के किस्से। पिता से नाराजगी। मां को खोना। स्टार बनना। ऊंचाइयों को छूना। आसमां से जमीं पर गिरना। अपनों को खोना। आतंकवादी होने के आरोप लगना। मुकदमा चलना। जेल जाना। सजा काटना। कम बैक करना। कई शादी करना। ये तमाम किस्से फिल्म में देखने को तो मिलेंगे ही, साथ ही कई ऐसे मजेदार और दिल तोड़ने वाले प्रसंग भी फिल्म में देखने को मिलेंगे कि आप पूछ बैठेंगे- ‘वाकई, ऐसा होता है क्या?’ यह अविश्वसनीय कहानी, जो कि सच है। ‘संजू’ में बयां की गयी है। इस फिल्म को आप चाहें तो रणबीर कपूर के लिए भी देख सकते हैं। उनका अभिनय फिल्म को अविश्वसनीय ऊंचाइयों पर ले जाता है और दर्शकों को वे अपने अभिनय से सम्मोहित कर लेते हैं। संजय दत्त के मैनेरिज्म और बॉडी लैंग्वेज को उन्होंने बहुत ही सूक्ष्मता से पकड़ा है और कहीं भी पकड़ को ढीली नहीं होने दिया। सुनील दत्त के किरदार में परेश रावल का अभिनय बेहतरीन है। सुनील दत्त की जो छवि है उसे परेश रावल ने अपने अभिनय से दर्शाया है। विक्की कौशल ने संजय दत्त के जिगरी दोस्त के रूप में खूब मनोरंजन किया है। फ़िल्म में मनीषा कोईराला, सोनम कपूर, अनुष्का शर्मा, दीया मिर्जा और जिम सार्भ भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।

7. पैड मैन / Pad Man (2018)

निर्देशक- आर. बाल्की लेखक- आर. बाल्की, स्वानंद किरकिरे

विशेष टिप्पणी- यह फिल्म अरुणाचलम मुरुगनथम की वास्तविक जीवन की कहानी से प्रेरित है, जिन्होंने कम लागत वाले सैनिटरी पैड बनाने की मशीन का आविष्कार किया था। मुरुगनानथम ने एक ऐसी मशीन का निर्माण किया था जो सैनिटरी नैपकिन्स सस्ते दाम में उत्पादित करती थी। उनको इस आविष्कार के लिए पद्मश्री से भी नवाजा गया था। अभिनय के मामले में अक्षय कुमार के करियर की यह सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है। लक्ष्मीकांत को उन्होंने इस तरह से आत्मसात किया है कि फिल्म शुरू होते ही हम भूल जाते हैं कि ये अक्षय कुमार हैं। पूरी फिल्म में मजबूती से कैरेक्टर को पकड़ कर रखा है। अपने अंदर के अच्छे इंसान को उन्होंने अभिनय के माध्यम से झलकाया है। फिल्म के अंत में संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित करने वाले सीन में उनका अभिनय देखने लायक है। फ़िल्म में अक्षय कुमार के अलावा राधिका आप्टे और सोनम कपूर भी प्रमुख भूमिका में हैं।

6. मांझी: द माउंटेनमैन / Manjhi – The Mountain Man (2015)

निर्देशक- केतन मेहता लेखक- केतन मेहता, अंजुम राजबली, महेन्द्र जाखड़, वरदराज स्वामी, शहज़ाद अहमद

विशेष टिप्पणी- इस फिल्म की कहानी दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है। दशरथ माँझी जिन्हें “माउंटेन मैन”के रूप में भी जाना जाता है, बिहार में गया के करीब गहलौर गाँव के एक गरीब मजदूर थे। केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना डाली। 22 वर्षों परिश्रम के बाद, दशरथ के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किमी से 15 किलोमीटर कर दिया। दशरथ की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा भी है जो हर काम को कठिन मानते हैं। फिल्म में एक दृश्य में एक पत्रकार दशरथ के आगे दुखड़ा रोता है कि वह अखबार मालिकों के हाथों की कठपुतली बन गया है। दशरथ कहता है कि नया अखबार शुरू कर लो। वह कहता है कि यह बहुत कठिन है। तब दशरथ पूछता है पहाड़ तोड़ने से भी कठिन है?

फ़िल्म में कलाकारों का अभिनय याद रखने योग्य है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मांझी के किरदार में घुस ही गए हैं। चूंकि नवाजुद्दीन खुद एक छोटे गांव से हैं, इसलिए उन्होंने एक ग्रामीण किरदार की बारीकियां खूब पकड़ी हैं। एक सूखे कुएं वाले दृश्य में उन्होंने कमाल की एक्टिंग की है। राधिका आप्टे ने मांझी की पत्नी के किरदार में सशक्त अभिनय किया है। फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट भी तगड़ी है और हर कलाकार ने अपना काम बखूबी किया है।

5. सुपर 30 / Super 30 (2019)

निर्देशक- विकास बहल लेखक- संजीव दत्ता

विशेष टिप्पणी- बिहार के रहने वाले आनंद कुमार ने यह अद्‍भुत काम किया और उनके द्वारा तैयार किए गए बच्चे आज ऊंचे पदों तक पहुंच गए हैं। आनंद कुमार सही मायनो में सुपरहीरो हैं और यह बात साबित करते हैं कि सुपरहीरो बनने के लिए बेहतरीन लुक्स नहीं, काम मायने रखता है। गणितज्ञ आनंद कुमार के जीवन में घटी प्रमुख घटनाओं को पर आधारित फिल्म ‘सुपर 30’ निर्देशक विकास बहल ने बनाई जो एक व्यक्ति के संघर्ष और जीत को दर्शाती है। आनंद कुमार के संघर्ष, गरीबी, इंटेलीजेंसी को हृतिक रोशन ने अपने अभिनय से अच्छे से व्यक्त किया है। आनंद कुमार सुपर 30 के सस्थांपक है। सुपर 30 एक कोचिंग इंस्टीट्यूट है जिसमें गरीब छात्रों को IIT की नि:शुल्क कोचिंग क्लास दी जाती है। हृतिक रोशन के अलावा फ़िल्म में मृणाल ठाकुर, वीरेन्द्र सक्सेना, पंकज त्रिपाठी, आदित्य श्रीवास्तव, अमित साध, विजय वर्मा आदि ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं।

4. भाग मिल्खा भाग / Bhaag Milkha Bhaag (2013)

निर्देशक- राकेश ओमप्रकाश मेहरा लेखक– प्रसून जोशी

विशेष टिप्पणी- ‘भाग मिल्खा भाग’ ये आखिरी शब्द थे उस तेरह वर्षीय लड़के के पिता के, जिन्होंने मरने के पहले बोले थे। उसके बाद उस लड़के ने ऐसी दौड़ लगाई कि दुनिया के कई देशों में सफलता के झंडे गाड़ दिए। भारत का नाम ऊंचा कर दिया। ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर महान धावक मिलखा सिंह की जीवनी पर आधारित यह फ़िल्म हर भारतीय को देखनी चाहिए। फ़िल्म में दर्द, ड्रामा, हास्य, ख़ुशी, गम, हार, जीत और प्यार सभी तरह के भाव हैं। एक जुझारू इनसान की जीवनगाथा को रोचक अंदाज में पेश करने के लिए राकेश मेहरा और फ़रहान अख्तर ने अपनी टीम संग बहुत मेहनत की है। फ़रहान अख्तर इस फिल्म का मजबूत स्तंभ हैं। उन्होंने अपने किरदार को घोलकर पी लिया है। फिल्म शुरू होने के चंद सेकंड बाद ही आप भूल जाते हैं कि आप फ़रहान को देख रहे हैं, ऐसा लगता है कि मिल्खा सिंह सामने खड़े हैं। उन्होंने अपने शरीर पर जो मेहनत की है वो लाजवाब है। 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ कॉरियॉग्राफी के लिए भी पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा इस फ़िल्म ने 7 फ़िल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किये हैं।

3. एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी / M.S. Dhoni : The Untold Story (2016)

निर्देशक- नीरज पांडे लेखक– नीरज पांडे, दिलीप झा

विशेष टिप्पणी-  यह फ़िल्म में भारतीय क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित है। सुशांत सिंह राजपूत ने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का किरदार निभाया है। सुशांत सिंह राजपूत से काफी मेहनत करवाई है और सुशांत एक क्रिकेटर लगते हैं। अभिनय के मामले में फिल्म लाजवाब है। सुशांत सिंह राजपूत में पहली ही फ्रेम से धोनी दिखाई देने लगते हैं। सुशांत ने अपने चयन को सही ठहराया है और अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया है। बॉडी लैंग्वेज में उन्होंने धोनी को हूबहू कॉपी किया है। क्रिकेट खेलते वक्त वे एक क्रिकेटर नजर आएं। इमोशनल और ड्रामेटिक सीन में भी उनका अभिनय देखने लायक है। अनुपम खेर, भूमिका चावला, कुमुद मिश्रा, राजेश शर्मा, दिशा पटानी, किआरा आडवाणी ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं से प्रभावित किया है। महेंद्र सिंह धोनी ने हमें गर्व करने लायक कई अवसर दिए हैं और फिल्म में उन्हें दोबारा जीना बहुत अच्छा लगता है। फिल्म में धोनी के खिलाड़ी जीवन की कुछ बातों का उल्लेख भले ही न हो, लेकिन आधुनिक क्रिकेट के इस ‘हीरो’ की फिल्म देखनी चाहिए।

2. पान सिंह तोमर / Paan Singh Tomar (2012)

निर्देशक- तिग्मांशु धूलिया लेखक- तिग्मांशु धूलिया, संजय चौहान

विशेष टिप्पणी- पान सिंह तोमर ऐसे नौजवान की कहानी, जो ग़रीबी के कारण फौज में भर्ती होता है, भूख मिटाने के लिए रेस के ट्रैक पर दौड़ता है, देश के लिए मेडल जीतता है, लेकिन फिर अचानक बंदूक उठाकर डाकू बन जाता है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर अधारित है। फिल्म पानसिंह के जीवन की घटानाओं का सिलसिलेवार जिक्र है। जब वह अपनी फौज की नौकरी से रिटाररमेंट लेता है तब वह गांव आकर रहने लगता है। लेकिन तब से उसके जीवन में एक और बदलाव आता है उसे अपने चचेरे भाइयों के चलते बंदूक उठाना पड़ता है। वह बागी बन जाता है जमीन के विवाद के कारण उसे बागी बनना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि वह बंदूक उठाने से पहले किसी के पास भी अपनी फरियाद लेकर नहीं पहुंचा। वह थानेदार के पास भी जाता है। लेकिन वहाँ पर उसके सारे मेडल्स फेक दिए जाते हैं। डाकू बन चुके पान सिंह से जब पूछा जाता है कि आप डाकू कब बने, तो वह गुस्से में कहता है कि ‘डकैत तो संसद में बैठे हैं, मैं तो बागी हूं’ उसे खुद को बागी कहलाना पसंद था। जब उसे समाज से न्याय नहीं मिला तो वह बागी बन गया। इस बात का उसे अफसोस भी है लेकिन इसके सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था। इरफ़ान ख़ान ने पान सिंह तोमर की भूमिका निभाई थी। कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसे सराहा गया है। इस फ़िल्म ने 2 नेशनल अवार्ड और 2 फ़िल्मफेयर अवार्ड सहित अन्य कई समारोह में सराहना पायी।

1. दंगल / Dangal (2016)

निर्देशक- नितेश तिवारी लेखक– नितेश तिवारी, पीयूष गु्प्ता, श्रेयष जैन, निखिल महरोत्रा

मुख्य कलाकार– आमिर ख़ान, साक्षी तंवर, फ़ातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, जायरा वसीम, अपारशक्ति खुराना, गिरिश कुलकर्णी आदि

विशेष टिप्पणी- नेशनल कुश्ती चैंपियन महावीर सिंह फोगाट और उनकी बेटियों के जीवन पर आधारित हैं फ़िल्म दंगल। यह हिन्दी सिनेमा की अब तक की सबसे सफलतम फ़िल्म है। जिसने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के नये रिकॉर्ड बना दिये। दंगल को सिर्फ स्पोर्ट्स फिल्म कहना गलत होगा। इस फिल्म में कई रंग हैं। लड़कियों के प्रति समाज की सोच, रूढि़वादी परंपराएं, एक व्यक्ति का सपना और जुनून, लड़के की चाह, अखाड़े और अखाड़े से बाहर के दांवपेंच, देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना, चैम्पियन बनने के लिए जरूरी अनुशासन और समर्पण जैसी तमाम बातें इस दंगल में समेटी गई हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट कमाल की है और पूरी फिल्म बहती हुई एक मनोरंजन की नदी के समान है जिसमें दर्शक डुबकी लगाते रहते हैं। महावीर फोगाट के किरदार में आमिर ख़ान तो पूरी तरह डूब गए। आमिर ने वजन कम और ज्यादा दोनों इस रोल के लिए किया है, लेकिन केवल इसके लिए ही तारीफ नहीं बनती। ये तो कई लोग कर सकते हैं। उनका अभिनय भी तारीफ के योग्य है। पहलवानों की बॉडी लैंग्वेज और हरियाणवी लहजे को जिस सूक्ष्मता के साथ पकड़ा है वो काबिल-ए-तारीफ है। अपने किरदार को उन्होंने धीर-गंभीर लुक दिया है। उन्होंने नए कलाकारों पर हावी होने के बजाय उन्हें भी उभरने का अवसर दिया है। कुश्ती वाले सीन उन्होंने बेहतरीन तरीके से फिल्माए हैं।

11-15
सरदार उधम, शेरशाह, द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह, शाहिद, मैरी कॉम।
विशेष उल्लेख
सूरमा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार, गांधी माय फ़ादर, गुरु, पूर्णा, बुधिया सिंह, अलीगढ़, मंटो, रंग रसिया (2008), सरबजीत, नो वन किल्ड जेसिका और मंगल पांडे। {अपडेट दिनांक:- 31 दिसंबर, 2021}

विशेष नोट:- यह सूची/रेटिंग इंटरनेट पर उपलब्ध स्रोतों एवं बॉलीवुड ख़ज़ाना टीम के गहन विश्लेषण के बाद तैयार की गयी है। यहाँ पर आधुनिक बॉलीवुड की 21वीं शताब्दी में रिलीज़ अर्थात वर्ष 2000 से रिलीज फ़िल्मों को ही लिया गया है। इस सूची में शामिल फ़िल्म का बॉक्स ऑफ़िस पर हिट होना आवश्यक नहीं है। समय और दर्शकों की पसंद के अनुसार यह सूची अपडेट होती रहती है।

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