29/04/2024

अनिल कपूर की टॉप-10 फ़िल्में

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अनिल कपूर की टॉप-10 फ़िल्में / Top 10 Films of Anil Kapoor

बॉलीवुड के झकास हीरो अनिल कपूर भारतीय फिल्‍म अभिनेता और निर्माता हैं जो कि बाॅलीवुड और हॉलीवुड फिल्‍मों में अपने अभिनय और डॉयलाग बोलने के अंदाज से भी जाने जाते हैं। अनिल कपूर ने उमेश मेहरा की फ़िल्म ‘हमारे तुम्हारे’ (1979) के साथ एक सहायक अभिनेता की भूमिका में अपने बॉलीवुड के सफर की शुरुआत की। ‘हम पाँच’ (1980) और ‘शक्ति’ (1982) के रूप में कुछ मामूली भूमिकाओं के बाद उन्हें 1983 में ‘वो 7 दिन’ (Woh 7 Din) में अपनी पहली प्रमुख भूमिका मिली जिसमे उन्होंने एक उत्कृष्ट एवं स्वाभाविक प्रदर्शन किया। अनिल कपूर ने इसके बाद उन्होंने यश चोपड़ा की ‘मशाल’ में एक बेहतरीन प्रदर्शन किया जहाँ उन्होंने दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के साथ अभिनय कौशल दिखाया। ‘मेरी जंग’ (1985) जैसी फ़िल्म में न्याय के लिए लड़ रहे एक नाराज युवा वकील की भूमिका की जिसने उन्हें एक परिपक्व अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया। इसके अलावा अनिल कपूर ने ‘कर्मा’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘तेज़ाब’, ‘राम लखन’ जैसी फ़िल्में कीं जिन्होंने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। अनिल कपूर की पहली हिंदी डेब्यू फिल्म ‘वो 7 दिन’ हिट होने के बाद करियर की दूसरी फिल्म मशाल ने अनिल कपूर को सुपरस्टार बना दिया। मशाल के लिए अनिल कपूर को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। अनिल कपूर ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्में की हैं। अनिल कपूर का जन्‍म चेंबूर, मुंबई में हुआ था। उनके पिता का नाम सुरिंदर कपूर और मां का नाम निर्मला कपूर है। उनके दो भाई भी हैं- बड़े भाई का नाम बोनी कपूर जो फ़िल्म निर्माता हैं और छोटे भाई का नाम संजय कपूर जो अभिनेता हैं। फिल्मों में शानदार अभिनय के लिए अनिल कपूर को नेशनल फिल्म अवॉर्ड के साथ दर्जनों अवॉर्ड हासिल हो चुके हैं। यहाँ हम दर्शक और समीक्षकों की पसंद के अनुसार अनिल कपूर की टॉप-10 फ़िल्मों के बारे में बता रहे हैं।

10. राम लखन / Ram Lakhan (1989)

शैली– एक्शन-कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक– सुभाष घई

मुख्य कलाकार- राखी गुलजार, जैकी श्रॉफ़, अनिल कपूर, डिम्पल कपाडिया, माधुरी दीक्षित, गुलशन ग्रोवर, अमरीश पुरी, अनुपम खेर, परेश रावल, रज़ा मुराद, दिलीप ताहिल, अन्नू कपूर आदि

विशेष नोट- राम लखन फिल्म की कहानी दो भाईयों राम (जैकी श्रॉफ) और लखन (अनिल कपूर) पर आधारित है जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, एक दूसरे के लिए जी-जान लगाने को तैयार है। इनकी माँ श्रद्धा सिंह (राखी) विधवा है जो अपने दोनों बेटों को पाल पोस  कर बड़ा करती है एक पुलिस इंस्पेक्टर बन जाता है और दूसरा आवारा गर्दी करता है। इससे पूर्व राखी का देवर बिश्वेश्वर नाथ (अमरीश पूरी) जायदाद हड़प कर श्रद्धा सिंह के पति की हत्या कर देता है। श्रद्धा सिंह तभी अपने पति के कत्ल का बदला लेने की कसम खाती है। राम एक ईमानदार इंस्पेक्टर है उसे बिश्वेश्वर नाथ अपने काले धंधे में शामिल करना चाहता है परन्तु अपनी चाल में कामयाब नहीं हो पाता है। इसलिए वो राम और लखन में फूट डालकर लखन को अपने पक्ष में कर लेता है। अंत में लखन पुलिस में भर्ती होकर नाटकीय तरीके से अपनी जान पर खेलकर अंतर्राष्ट्रीय स्मगलर ‘बैडमेन’ केसरिया विलायती (गुलशन ग्रोवर) तथा सर जॉन (रजा मुराद) के साथ  बिश्वेश्वर नाथ (अमरीश पूरी) के काले धंधों का पर्दाफाश करता है। अनिल कपूर ने आवारा गिर्दी करने वाले लड़के से लेकर जिम्मेदार पुलिस अफसर तथा बेईमान पुलिस अफसर दोनों के रोल बखूबी निभाकर अभिनय की छाप छोड़ी है। इस फ़िल्म का गाना ‘माय नेम इज लखन’ बहुत लोकप्रिय हुआ था। इसी वजह से अनिल कपूर को बॉलीवुड में ‘लखन’ के नाम से भी जाना जाता है।

9. मेरी जंग / Meri Jung (1985)

शैली– एक्शन-ड्रामा निर्देशक– सुभाष घई

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि, गिरिश कर्नाड, नूतन, अमरीश पुरी, खुशबू आदि

विशेष नोट- यह कहानी एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार की है। जिसमें अरुण शर्मा (अनिल कपूर) 8 वर्ष का बालक और उनकी बहन कोमल वर्मा (खुशबू) 5 वर्ष की बालिका है। उनकी माता (नूतन) और पिता (गिरीश कर्नाड) हैं। वह सभी मिलकर शांति भरी जिंदगी जीते रहते हैं। उसके माता पिता उन्हें एक गाना “ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है, जीत जाएँगे हम, जीत जाएँगे हम तू अगर संग है’ सिखाते हैं। जिससे वह जीवन में आने वाले सभी परेशानी का मुक़ाबला कर सकें। फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था और गीत आनंद बख्शी के थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता थी और समीक्षकों द्वारा सराही गयी थी। इस फिल्म ने अनिल कपूर को स्टारडम दिया। इस फिल्म में अनिल कपूर का अभिनय आज भी उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है और उन्हें अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार नामांकन भी मिला।

8. तेज़ाब / Tezaab (1988)

शैली– एक्शन-ड्रामा-रोमांस निर्देशक– एन चंद्रा

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अनुपम खेर, चंकी पांडे, किरण कुमार, सुरेश ऑबेराय, अन्नू कपूर आदि

विशेष नोट- महेश देशमुख (अनिल कपूर) देश की सशस्त्र बलों में शामिल हुआ क्योंकि वह ईमानदारी से और देशभक्ति से देश की सेवा कर सके। अपने कॉलेज के दिनों में उसके साथी सहपाठी मोहिनी (माधुरी दीक्षित) के साथ झगड़ा हुआ। अपने दोस्तों और खुद के बीच एक शर्त के बाद वह मोहिनी के साथ प्यार में पड़ जाता है, जो बाद में महसूस करती है कि वह वास्तव में उसके साथ प्यार में पड़ गया है और वह भी सहानुभूति देती है। मोहिनी के पिता (अनुपम खेर) शराबी है और उनकी इच्छा है कि मोहिनी नृत्य और वेश्यावृत्ति में चली जाए है ताकि वह अपनी दैनिक खुराक प्राप्त कर सके। मोहिनी महेश के साथ शरण लेने का प्रयास करती है, हालांकि, महेश को इस हद तक उलझन में डाल दिया जाता है कि वह गिरफ्तार, आरोपी साबित हो जाता है और उसे बम्बई शहर से तड़ीपार रहने की सजा सुनाई जाती है। जब महेश लौटता है, तो वह अब ईमानदार और देशभक्त महेश नहीं है, बल्कि मुन्ना नामक एक गैंगस्टर है, जिसको कई पुराने हिसाब चुकता करने हैं। फिल्म सुपरहिट रही थी और 1988 की सबसे बड़ी व्यावसायिक रूप से सफल फिल्म थी। फ़िल्म का “एक दो तीन” गाना बहुत ज़्याद लोकप्रिय हुआ था।

7. मशाल / Mashaal (1984)

शैली– एक्शन-ड्रामा-फैमिली निर्देशक– यश चोपड़ा

मुख्य कलाकार– दिलीप कुमार, अनिल कपूर, वहीदा रहमान, रति अग्निहोत्री, अमरीश पुरी, सईद जाफ़री आदि।

विशेष नोट- विनोद कुमार (दिलीप कुमार) एक सम्मानित, कानून का पालन करने वाले नागरिक की भूमिका निभाते हैं, जो बदला लेने के लिए अपराध में बदल जाता है। विनोद की पत्नी, सुधा (वहीदा रहमान), राजा (अनिल कपूर) नाम के एक आवारा को देखती है और उसमें कुछ मूल्यों और संस्कृति को स्थापित करने की कोशिश करती है। विनोद को इस बारे में संदेह होता है, लेकिन जब राजा उन्हें अपने दुखद बचपन के बारे में बताता है और सुधा को एक मातृ आकृति के रूप में मानता है, तो वह स्वीकार करता है। अंत में, विनोद राजा को अपनी शिक्षा पूरी करने और पत्रकार बनने के लिए बैंगलोर भेजकर उसकी मदद करने का फैसला करता है। आगे जाकर राजा, गीता (रति अग्निहोत्री) से दोस्ती करता है, जो एक महत्वाकांक्षी पत्रकार है, और बाद में वे प्यार में पड़ जाते हैं। यह फिल्म प्रसिद्ध मराठी लेखक वसंत कानेतकर द्वारा लिखित प्रसिद्ध मराठी नाटक ‘अश्रून्ची झाली फुले’ पर आधारित थी। फिल्म को मलयालम में ‘इथिले इनियुम वरु’ के रूप में बनाया गया था जिसमें ममूटी मुख्य भूमिका निभा रहे थे। इस फ़िल्म में अनिल कपूर ने अभिनय सम्राट दिलीप साहब के सामने बेहतरीन अभिनय किया है। आज के समय में इतनी क्षमता और चतुराई के अभिनेता मिलना मुश्किल है।

6. लम्हे / Lamhe (1991)

शैली– ड्रामा-म्यूजिकल-रोमांस निर्देशक– यश चोपड़ा

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, श्रीदेवी, अनुपम खेर, वहीदा रहमान आदि।

विशेष नोट- वीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ विरेन (अनिल कपूर) अपनी दाई माँ (वहीदा रहमान) के साथ राजस्थान जाता है। वहाँ वो पल्लवी (श्रीदेवी) से मिलता है और उससे प्यार करने लगता है। लेकिन पल्लवी किसी और से (दीपक मल्होत्रा) से प्यार करती है और उससे शादी भी कर लेती है। वीरेन्द्र का दिल टूट जाता है और वो लंदन चला जाता है। वहाँ वो अपने दोस्त प्रेम (अनुपम खेर) के साथ सब कुछ भूलने की कोशिश करता है। कुछ साल बाद एक कार हादसे में पल्लवी और सिद्धार्थ मर जाते हैं लेकिन उनकी बेटी पूजा बच जाती है जिसे दाई माँ द्वारा ही पाला जाता है। वीरेन्द्र एकाध साल बाद भारत लौटता है। कई साल बाद जब वो बड़ी हो चुकी पूजा (श्रीदेवी) से मिलता है, तो देखकर चौक जाता है कि वो बिल्कुल अपनी माँ और उसके प्यार जैसी दिखती है। वो उससे दूरी बनाए रखता है। कुछ वर्षों बाद दाई माँ पूजा को लंदन घुमाने लाती है। वहाँ वो वीरेन्द्र को कबूल करने लगती है और उससे शादी करने को तैयार हो जाती है। लेकिन वो उससे इंकार कर देता और कहता है कि वो उससे नहीं उसकी माँ से प्यार करता था।

5. विरासत / Virasat (1997)

शैली- ड्रामा-फैमिली-म्यूजिकल निर्देशक- प्रियदर्शन

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, तब्बू, पूजा बत्रा, अमरीश पुरी, मिलिंद गुणाजी, गोविन्द नामदेव, सत्येन्द्र कपूर, दिलीप धवन आदि

विशेष नोट- लंदन में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, शक्ति ठाकुर (अनिल कपूर) भारत में अपने पैतृक गाँव लौटता है। उनके साथ रहने वाली उनकी प्रेमिका, अनीता (पूजा बत्रा) हैं, जिनसे वह प्यार करता है और शादी भी करना चाहता है। कुछ दिनों के बाद, शक्ति को लगने लगता है कि उनके गृहनगर और छोड़ने की लालसा में कुछ भी नहीं बदला है। वह अपने पिता से कहता है कि वह परिवार की संपत्ति के अपने हिस्से को बेचना चाहता है और रेस्तरां का बिजनेस खोलना चाहता है। उनके पिता, जमींदार राजा ठाकुर (अमरीश पुरी), शक्ति से गाँव में रहने और बाद की शिक्षा के आधार पर प्रगति में मदद करने का अनुरोध करते हुए कहते हैं, “एक आदमी को स्वार्थी बनने के लिए नहीं बल्कि अपने अशिक्षित भाइयों के उत्थान के लिए एक शिक्षा मिलती है”। शक्ति अपने पिता से सहमत नहीं है और छोड़ने का फैसला करता है। वह शहरवासियों के बीच दुश्मनी को सहन करने में असमर्थ है, विशेष रूप से उनके पिता, राजा ठाकुर (अमरीश पुरी), और प्रतिद्वंद्वी जमींदार बिरजू (गोविंद नामदेव) (शक्ति के चाचा) और उनके बेटे बाली ठाकुर के बीच। फिल्म में शिक्षा के सही अर्थ को दर्शाया गया है “अशिक्षित लोगों के उत्थान के लिए एक उपकरण”। विरासत को 43वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में 16 नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, प्रियदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, अनिल कपूर के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, तब्बू के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और पूजा बत्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री और सर्वश्रेष्ठ महिला डेब्यू शामिल हैं। सर्वश्रेष्ठ फिल्म सहित सात श्रेणियों में पुरस्कार हासिल भी किया। अनिल कपूर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (क्रिटिक) अवार्ड से नवाजा गया।

4. परिंदा / Parinda (1989)

शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक- विधु विनोद चोपड़ा

मुख्य कलाकार- नाना पाटेकर, जैकी श्रॉफ़, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सुरेश ऑबेराय, अनुपम खेर, टॉम अल्टर आदि

विशेष नोट- यह अनिल कपूर की ही नहीं बल्कि जैकी श्रॉफ और नाना पाटेकर की कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। यह बॉलीवुड की 50 महानतम फिल्मों की सूची में शामिल है। कहानी के अनुसार किशन (जैकी श्रॉफ) और करन (अनिल कपूर) दोनों भाई मुंबई के गलियों में पले-बढ़े हैं। करन को अच्छी शिक्षा मिले और वो आगे बढ़े, इस कारण किशन को अन्ना सेठ (नाना पाटेकर) के गैंग में शामिल होना पड़ता है। करन का दोस्त इंस्पेक्टर प्रकाश (अनुपम खेर) को अन्ना के काले धंधों के बारे में पता रहता है और वो उसे पकड़ने की कोशिश करते रहता है। अन्ना के लोग, प्रकाश को मार देते हैं और उसकी मौत करन के हाथों में ही हो जाती है। प्रकाश की बहन, पारो (माधुरी दीक्षित) करन से प्यार करती है लेकिन उसे लगता है कि उसके भाई के मौत का जिम्मेदार करन है।

रिलीज होने पर परिन्दा को आलोचकों की प्रशंसा प्राप्त हुई। इस फिल्म को कई लोगों द्वारा हिंदी सिनेमा में यथार्थवाद की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। परिन्दा ने 2 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 5 फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम किये तथा 1990 में ऑस्कर पुरस्कार में विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए उसे भारत की तरफ से आधिकरिक तौर पर भेजा गया था।

3. नायक: द रियल हीरो / Nayak: The Real Hero (2001)

शैली– एक्शन-ड्रामा-थ्रिलर निर्देशक- एस. शंकर

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, रानी मुखर्जी, अमरीश पुरी, परेश रावल, जॉनी लीवर, पूजा बत्रा आदि।

विशेष नोट- वर्तमान दौर में इसे अनिल कपूर की सबसे चर्चित फिल्म कहा जाए तो गलत नहीं होगा। एक ऐसी फिल्म है जिसमें संयोग से फिल्म का हीरो बन जाता है 1 दिन का मुख्यमंत्री, और उस 1 दिन के कार्यकाल से प्रभावित होकर जनता उसे पूर्णकालिक मुख्यमंत्री बनाने की मांग करती है। फिर नायक का इनकार और इंकार के बाद जनता के दबाव में चुनाव लड़कर खुद की सरकार बनाना एक्शन ड्रामा और मधुर संगीत से सजी यह फिल्म है नायक द रियल हीरो। अनिल कपूर याने शिवाजीराव जो कि एक न्यूज़ चैनल के कैमरामैन है और वीडियो शूट करते हैं और अपने साथियों के साथ अपने न्यूज़ चैनल के लिए खबरों को कवर करते हैं। अमरीश पुरी बने हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री जिनकी सरकार सहयोगी दलों की मदद से चल रही है और सीएम के चीफ सेक्रेट्री बने हैं परेश रावल। रानी मुखर्जी फिल्म में अनिल कपूर की प्रेमिका बनी हैं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं कर पाई थी लेकिन “नायक” ने पिछले कुछ वर्षों में टीवी के अलावा सोशल मीडिया पर मीम्स के जरिए तहलका मचा दिया है। यह फिल्म तमिल की ‘मुधालवन’ (Mudhalvan) की आधिकारिक रीमेक थी।

2. वो 7 दिन / Woh 7 Din (1983)

शैली– ड्रामा-रोमांस निर्देशक- बापू

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे, नसीरुद्दीन शाह, राजू श्रेष्ठ, दीना पाठक, जगदीप आदि।

विशेष नोट-  यह किसी हिंदी फिल्म में अनिल कपूर की पहली मुख्य भूमिका थी। माया (पद्मिनी कोल्हापुरे) अपनी शादी की रात के दिन आत्महत्या करने का प्रयास करती है। डॉ आनंद (नसीरुद्दीन शाह), माया का पति, जो एक डॉक्टर है, उसका इलाज करता है और पता करता है कि उसने आत्महत्या करने का प्रयास क्यों किया। जब माया को होश आता है, तो वह डॉ आनंद को बताती है कि वह शादी नहीं करना चाहती थी, उसे मजबूर किया गया था। कहानी फ्लैशबैक में जाती है, जहाँ एक नया गायक, प्रेम प्रताप पटियाला वाले (अनिल कपूर) और उसका साथी मास्टर राजू माया के घर आता है। माया को पहली नजर में भोले भाले प्रेम से प्यार हो जाता है। हालांकि, प्रेम, एक सच्चे संगीतकार बनने की इच्छा रखते हुए, माया के प्यार को खारिज कर देता है। लेकिन कुछ दिन बाद वो खुद भी प्यार करने लगता है और वे भागने की योजना बनाते हैं, लेकिन भाग जाने के दिन, माया के माता-पिता द्वारा दोनों पकड़ लिए जाते हैं। नतीजतन, प्रेम को घर से बाहर निकाल दिया जाता है और माया को डॉ आनंद से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। यह फिल्म 1981 की तमिल फिल्म ‘अंधा 7 नाटकाल’ की रीमेक है, जिसका निर्देशन के. भाग्यराज ने किया था। संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था जबकि आनंद बख्शी ने गीत लिखे थे।

1. मि. इंडिया / Mr. India (1987)

शैली– एक्शन-कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक- शेखर कपूर

मुख्य कलाकार– अनिल कपूर, श्रीदेवी, अमरीश पुरी, सतीश कौशिक, अन्नू कपूर, अजीत वचानी, शरत सक्सेना आदि।

विशेष नोट- यह अनिल कपूर की ही नहीं बल्कि बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। एक गरीब लेकिन बड़े दिलवाला आदमी कुछ अनाथ बच्चों को अपने घर में रखता है। अपने वैज्ञानिक पिता की अदृश्यता डिवाइस की खोज के बाद, वो उन बच्चों और भारत के सभी लोगों को मोगॅम्बो से बचाने के लिए लड़ता है।
यह फिल्म 1987 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी, और यह भारत में पहली सुपरहीरो फ़िल्म कही जा सकती है। यह फिल्म श्रीदेवी के “मिस हवा हवाई” प्रदर्शन सहित कई लाइनों और गानों के लिए जानी जाती थी और साथ ही अमरीश पुरी का “मोगैम्बो खुश हुआ” डायलॉग जो बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध संवादों में से एक माना गया है। मोगैम्बो चरित्र को बॉलीवुड के इतिहास में सबसे अच्छे खलनायकों में से एक माना जाता है। फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, जिसमें प्रथम स्टार और स्टाइल-लक्स अवार्ड्स में चार अवार्ड शामिल हैं- सर्वश्रेष्ठ फिल्म (बोनी कपूर), सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (शेखर कपूर), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (अनिल कपूर) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (श्रीदेवी)। इसे बाद में तमिल और कन्नड भाषा में रीमेक किया गया है।

अनिल कपूर की अन्य महत्वपूर्ण फ़िल्में

चमेली की शादी, कर्मा, 1942: ए लव स्टोरी, वेलकम, दीवाना मस्ताना, नो एंट्री, दिल धड़कने दो, खेल, किशन कन्हैया, पुकार, स्लमडॉग मिलिनेयर, बेटा, ताल, रेस, जुदाई, लाडला, बुलंदी, लोफ़र, ओम जय जगदीश । {अपडेट दिनांक:- 27 अक्टूबर, 2021}

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