29/04/2024

बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 हॉरर फ़िल्में

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हॉरर फिल्मों का नाम सुनते ही, दर्शकों के दिमाग में हॉरर सीन और थ्रिलर से भरी, एक बेहतरीन स्टोरी चलने लगती है, लेकिन बॉलीबुड कोई बहुत अच्छी हॉरर फ़िल्में नहीं बनती। फिर हम आपके लिये लाये हैं बॉलीवुड इतिहास की कुछ बेहतरीन हॉरर फ़िल्में जो दर्शकों द्वारा काफी पसंद की गयी हैं।

बॉलीवुड इतिहास की टॉप-10 डरावनी (हॉरर) फ़िल्में / Top 1o Horror / Mystery Films of Bollywood History

10. वीराना / Veerana (1988)

लेखक-निर्देशक- रामसे ब्रदर्स

संगीतकार- बप्पी लहरी, अनिल अरुण

मुख्य कलाकार– जैस्मीन धुन्ना, हेमंत बिरजे, कुलभूषण खरबंदा, सतीश शाह, लीला मिश्रा, गुलशन ग्रोवर आदि

विशेष नोट- ‘वीराना’ को आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे हॉरर फिल्मों में से एक माना जाता है। इस फिल्म को तुलसी रामसे और श्याम रामसे ने मिलकर डायरेक्ट किया था। इस खौफनाक कहानी ने फिल्म की लीड एक्ट्रेस जैस्मीन को रातों-रात स्टार बना दिया था। उनकी खूबसूरती के दुनियाभर में खूब चर्चे रहे। जहां एक ओर जैस्मीन काफी सुर्खियों में रही, वहीं, इस फिल्म से जुड़े भी कई किस्सों ने लोगों को चौंकाया। इसे मारियो-बावा शैली में फ़िल्मांकन किया गया जिसके लिए रंगीन जैलों की मदद से डरावना वातावरण रचा जा सका। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फिल्म को बनाने का मूल विचार एक सच्ची और खौफनाक घटना से प्रेरित है। ऐसा कहा जाता है कि श्याम रामसे के साथ एक रात ऐसी भयानक घटनी घटी, जिसे उन्होंने दुनिया को बताने के लिए पर्दे पर उतार दिया गया।

9. परी (2018)

लेखक-निर्देशक- प्रोसित रॉय

संगीतकार- अनुपम रॉय, केतन सोधा

मुख्य कलाकार– अनुष्का शर्मा, परमब्रत चटर्जी, रजत कपूर, ऋताभरी चक्रवर्ती, मानसी मुल्तानी आदि

विशेष नोट- परी में वीभत्स रस का सिनेमा है। यहां नायिका में शैतानी आत्मा है और वह कुत्ते से लेकर इंसान तक का खून पीती है। माहौल कोलकाता का है और बांग्लादेश में 1970 के दशक में एक विशेष जनजाति की महिलाओं पर शैतान की बेटियां होने के आरोप के साथ उन्हें खत्म करने का आंदोलन चलता है। शैतान का वंश न बढ़े इसलिए एक तांत्रिक/प्रोफेसरनुमा व्यक्ति (रजत कपूर) इन महिलाओं को जंगल और खंडहरों जैसी जगह में जंजीरों में बांध कर रखता है, इनका प्रसव कराता है और पैदा होने वाले बच्चे को मार देता है। उसके चंगुल से एक महिला भाग निकलती है और बेटी को जन्म देती है। उसने दुनिया से छुपा कर जंगल में बेटी को पाला है, यह है रुखसाना (अनुष्का शर्मा)। मां एक कार एक्सिडेंट में मर जाती है। कार मालिक अर्णब (परमब्रत चटर्जी) की रुखसाना से सहानुभूति हो जाती है।

8. महल / Mahal (1949)

लेखक-निर्देशक- कमाल अमरोही

संगीतकार- खेमचंद प्रकाश

मुख्य कलाकार– अशोक कुमार, मधुबाला, एम कुमार, नाजिर हुसैन, विजयलक्ष्मी आदि

विशेष नोट- इसे पहले हिन्दी हॉरर फ़िल्म होने का गौरव प्राप्त है। रामसे ब्रदर्स को हॉरर फिल्मों का ‘शहंशाह’ कहा जाता है लेकिन पहली हॉरर फ़िल्म को कमाल अमरोही ने बनाया। यह फिल्म 40 के दशक की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। इस फिल्म ने मधुबाला को स्टारडम दिलाने के साथ ही उस दौर की बड़ी हीरोइनों की फेहरिस्त में शुमार कर दिया था। मधुबाला कई साल से फिल्मों में काम कर रही थीं। बीच में उनकी कई फिल्में बंद भी हो गई थीं। ऐसे में उन्हें पहली बार सफलता का स्वाद ‘महल’ से ही चखने को मिला था। इसी फिल्म से एक गायिका के तौर पर लता मंगेशकर को भी कामयाबी मिली थी। लता मंगेशकर ने ‘महल’ फिल्म का ‘आएगा आने वाला’ गाना गाया था, जो आज भी सुना जाए तो सिहरन पैदा कर देता है। उस समय लता मंगेशकर मात्र 19 साल की थीं। ‘महल’ की कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित थी। वह घटना एक्टर अशोक कुमार के साथ घटी थी। अशोक कुमार ने वो घटना कमाल अमरोही को बताई और उनसे इस पर फिल्म बनाने के लिए कहा।

7. जानी दुश्मन / Jaani Dushman (1979)

निर्देशक- राजकुमार कोहली लेखक– इंदर राज आनन्द

संगीतकार- लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल

मुख्य कलाकार– सुनील दत्त, संजीव कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, जितेन्द्र, विनोद मेहरा, रेखा, रीना रॉय, नीतू सिंह, बिंदिया गोस्वामी, योगिता बाली, अमरीश पुरी, रज़ा मुराद, शक्ति कपूर, मैकमोहन, मदन पुरी, जगदीप, प्रेमनाथ, अरुणा ईरानी आदि

विशेष नोट- यह फिल्‍म अपने समय की बेहद लोकप्रिय फिल्‍म थी। इसके सभी गाने खासकर ‘चलो रे डोली उठाओ कहार’ काफी लोकप्रिय रहे थे और आज भी इसके गीत लोगों को बरबस इसके ओर आकर्षित करते हैं। फिल्‍म का सबसे मनोरंजक और रोचकता थी हिरोइनों का एक एक करके मरना। फिल्‍म का शुरूआती दृश्‍य काफी डरावना और सस्‍पेंस पैदा करने वाला था।

6. राज़ / Raaz (2002)

निर्देशक- विक्रम भट्ट लेखक– महेश भट्ट, गिरीश धमीजा

संगीतकार- नदीम-श्रवण

मुख्य कलाकार– बिपाशा बासु, डिनो मोरिया, मालिनी शर्मा, आशुतोष राणा, अली असगर, अनंग देसाई, मुरली शर्मा आदि

विशेष नोट- राज़ वर्ष 2002 में बनी बेहतरीन म्यूजिकल हाॅरर फिल्म है, जिसका निर्देशन विक्रम भट्ट ने किया है। फ़िल्म में मुख्य कलाकार डीनो मोरिया तथा बिपाशा बसु एक युवा दंपत्ति की भूमिका निभाते हैं जो अपने टूटते वैवाहिक जीवन को संभालने के लिए ऊटी आते हैं। मगर जल्द ही नायिका को यह एहसास होता है कि उनके इस नए घर में एक प्रेतात्मा का भी वास है। उसकी पत्नी संजना समझ जाती है कि वह आत्मा उसके पति को ले जाना चाहती है। फ़िल्म को अनाधिकारिक रूप से हालीवुड फ़िल्म “व्हाट लाईज बिनीथ” का हिन्दी संस्करण माना जाता है। अपने समय की बेस्ट म्यूजिकल हिट राज़ के आगे चलकर 3 सीक्वल बने जिनके नाम ‘राज़ : दि मिस्ट्री कन्टिन्युज’ (2009), ‘राज़ 3’ (2012) और ‘राज़: रीबूट’ (2016) रहे।

5. 13बी / 13B (2009)

निर्देशक- विक्रम के. कुमार लेखक- अभिनव कश्यप, विक्रम के. कुमारसंगीतकार- शंकर-एहसान-लॉय, तुबी पारिक

मुख्य कलाकार– आर. माधवन, नीतू चन्द्रा, पूनम ढिल्लों, सचिन खेडेकर, रवि बाबू, संपत राज, मुरली शर्मा, अमर उपाध्याय, दीपक डोबरियाल आदि

विशेष नोट- मूल रूप से यह फिल्म तमिल में यवरुम नालम नाम से प्रदर्शित हुई और हिन्दी में इसे 13 बी के नाम प्रदर्शित किया गया।  इसकी कहानी एक परिवार के इर्द गिर्द घूमती है। जो एक नये भवन की 13वीं मंजिल के 13बी अपार्टमेंट में रहने के लिए आता है। इस परिवार की महिलाएं एक दैनिक धारावाहिक ‘सब खैरियत’ को देखने की आद‍ि हो चुकी हैं। पेशे से सिविल इंजिनियर मनोहर इस नए घर में आकर बहुत खुश है। इस घर में आने के बाद से सब कुछ अच्‍छा होने लगता है। उसका बड़े भाई की पदोन्‍नति हो जाती है, उसकी बहन कॉलेज की परीक्षाओं में पास हो जाती है। उसकी पत्‍नी गर्भवती हो जाती है। सबके साथ अच्‍छा हो रहा है लेकिन उसे एक अनजाना सा डर लगने लगा है कि जैसे जब भी वह अकेले लिफ्ट में चलता है तो लिफ्ट बंद हो जाती है। उसके मोबाइल पर उसकी खुद की तस्‍वीरें बहुत डरावनी दिखाई देती है। वह अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित रहता है। मनोहर समझ नहीं पाता है ये सब क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है। मनोहर जिस धारावाहिक का विरोध करता है लेकिन एक दिन वह स्वयं यह धारावाहिक देखता है तो आश्चर्यचकित रह जाता है क्योंकि धारावाहिक की कहानी उसके परिवार की कहानी से पूरी तरह मिलती है।

4. मकडी / Makdee (2002)

निर्देशक/लेखक/संगीतकार- विशाल भारद्वाज

मुख्य कलाकार– शबाना आज़मी, मकरंद देशपांडे, स्वेता बासु प्रसाद, विजय राज, दया शंकर पांडे, आलाप मजगांवकर, विनीत कुमार आदि

विशेष नोट- विशाल भारद्वाज द्वारा लिखित और निर्देशित 2002 की मकडी एक कॉमेडी हॉरर फिल्म है। इसमें शबाना आजमी, मकरंद देशपांडे, श्वेता बसु प्रसाद, विजय राज और आलाप मझगांवकर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म उत्तर भारत में एक युवा लड़की की कहानी और इलाके में एक पुरानी हवेली में एक कथित चुड़ैल के साथ उसकी मुठभेड़ की कहानी है, जिसे स्थानीय लोग प्रेतबाधित मानते हैं। यह फ़िल्म आधुनिक भारत में चुड़ैलों और जादू टोना में विश्वास की व्याख्या भी करती है। भले ही फ़िल्म बच्चों के लिए बनाई गयी है लेकिन ये बहुत सी बड़ी हॉरर फ़िल्मों से बेहतर है।

3. रात / Raat (1992)

लेखक/निर्देशक- राम गोपाल वर्मा

संगीतकार- मणी शर्मा

मुख्य कलाकार– रेवती, रोहिणी हट्टंगड़ी, आकाश खुराना, ओम पुरी आदि

विशेष नोट- रात एक सुपर नेचुरल थ्रिलर फिल्‍म थी जो साल 1992 में रिलीज हुई। चार लोगों का एक परिवार कथित रूप से प्रेतवाधित घर में चला जाता है। मनीषा शर्मा (रेवती) उर्फ ​​”मिनी” अपने कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की है। उनके पिता श्री शर्मा (आकाश खुराना) हैं, जबकि उनकी मां शालिनी शर्मा (रोहिणी हट्टंगड़ी) हैं। दीपक (कुशंत) मिनी का क्लासमेट और बॉयफ्रेंड है। मिनी का भतीजा बंटी (मास्टर अतीत) घर के तहखाने में एक बिल्ली पाता है। बिल्ली के चेहरे पर उसकी धब्बेदार आँखों से एक भयानक नज़र आती है। एक दिन बिल्ली पिता की कार के पिछले पहिए के पीछे से निकल जाती है और कार उलटने पर गलती से उसकी मौत हो जाती है। इस फिल्‍म को राम गोमाल वर्मा ने निर्देशित किया था। इस फिल्‍म में रेवती ने लीड रोल किया था। फिल्म को हिंदी सिनेमा की मुख्यधारा में हॉरर फिल्मों को लाने के प्रयास के रूप में जाना गया। यह बॉलीवुड में रिलीज हुई अंतिम फिल्म थी, जिसे 70 मिमी नेगेटिव का उपयोग करके शूट किया गया था।

2. मधुमती / Madhumati (1958)

निर्देशक- विमय रॉय लेखक- ऋत्विक घटक

संगीतकार- सलिल चौधरी

मुख्य कलाकार– दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, प्राण, जॉनी वॉकर, जयंत, रामायण तिवारी, तरुण बोस, भुडो आडवाणी आदि

विशेष नोट- देवेन्द्र (दिलीप कुमार), जो एक इंजीनियर है, अपने दोस्त डॉक्टर (तरुण बोस) के साथ कार से रात को तूफ़ान और बारिश में पहाड़ी रास्तों से होकर अपनी पत्नी और नवजात बच्चे को लेने रेलवे स्टेशन जा रहा है। रास्ते में भूस्खलन के कारण रास्ता बन्द हो जाता है तो कार का ड्राइवर मदद लेने के लिए जाता है और दोनों दोस्त एक पुरानी हवेली में शरण लेते हैं। वहाँ देवेन्द्र को हवेली जानी पहचानी सी लगती है और उसे धीरे-धीरे पुराने जन्म की बातें याद आने लगती हैं। वह अपने डॉक्टर दोस्त और हवेली के चौकीदार को कहानी सुनाना शुरू करता है। यह पहली हिन्दी फ़िल्म है जिसमें एक कलाकार (वैजयन्ती माला) ने तीन रोल निभाये। इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक बिमल रॉय थे। फ़िल्म में मुख्य भूमिका दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला और जॉनी वॉकर ने निभाई। इस फ़िल्म को सन् 1958 में अन्य पुरस्कारों के अलावा फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। मधुमती से प्रेरित प्रसिद्ध पुनर्जन्म फिल्में जैसे मिलन (1967), महबूबा (1976), कर्ज़ (1980), कुदरत (1981), जनम जनम (1988) और करण अर्जुन (1995), ओम शान्ति ओम (2007) आदि हैं।

1. तुम्बाड / Tumbbad (2018)

निर्देशक- राही अनिल भर्वे लेखक- मितेश शाह, आदेश प्रसाद, राही अनिल भर्वे, आनन्द गांधी

संगीतकार– अजय-अतुल, जेस्पेर कायद

मुख्य कलाकार– सोहम शाह, ज्योति माल्शी, धुंडीराज प्रभाकर जोगेलकर, रुद्र सोनी, माधव हरि जोशी, पुष्पक कौशिक, अनीता दाते, दीपक दामले, रोन्जिनी चक्रवर्ती आदि

विशेष नोट- इसे बॉलीवुड में अब तक की बेस्ट हॉरर फ़िल्म कहा जा सकता है। यह फिल्म 20वीं सदी के ब्रिटिश भारत के गांव तुम्बाड (महाराष्ट्र) में छिपे खजाने की खोज की कहानी है। फिल्म की कहानी हालांकि काल्पनिक है, लेकिन जबरदस्त है। पहले फ्रेम से लेकर आखिर तक आपको सीट पर बांधे रखती है। फिल्म में मनुष्य के सबसे बड़े मोह और लोभ के बारे में बहुत बड़ी बात कही गई है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है और फिल्मांकन का ढंग बहुत उम्दा है। तुम्बाड को शूट के दौरान काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था इसलिए पूरी फ़िल्म 6 साल में शूट हो पायी। फ़िल्म के बहुत सारे सीन बारिश में फ़िल्माये गये हैं। नकली बारिश का सहारा लेकर फ़िल्म जल्दी बनाई जा सकती थी लेकिन सब कुछ फ़िल्म में असल दिखे इसलिए बारिश के सीन को फ़िल्माने में 4 मानसून लगे। इस फिल्म का माहौल डराता है। फ़िल्म का मुख्य पात्र विनायक डराता है, उसका लालच डराता है। ‘कुछ होने को है’ वाला अहसास डराता है। फ़िल्म का कैमरावर्क डराता है। फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत बड़ा रोल प्ले करता है। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर फ़्लॉप हो गयी लेकिन समीक्षकों की वाहवाही के बाद इंटरनेट के पाठकों ने इसे थोड़ा बहुत लोकप्रिय बनाया।

11-15
द हाउस नेक्स्ट डोर (2017), भूत (2003), बीस साल बाद (1962), पुराना मंदिर (1984), 1920 (2008)
विशेष उल्लेख
फोबिया (2016), , डरना मना है (2003), हॉन्टेड 3 डी (2011), पिज़्ज़ा (2014), द फ़ाइनल एक्जिट (2017), वो फिर आयेगी (1988), दो गज़ ज़मीन के नीचे (1972), कोहरा (1964), फूंक (2008), वास्तु शास्त्र (2004),  रागिनी एमएमएस (2011), शापित (2010), 100 डेज (1991) । {अपडेट दिनांक:- 3 नवंबर 2022}

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