29/04/2024

3 राष्ट्रीय पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कार पा चुके निर्देशक राजकुमार हिरानी ‘लगे रहो मुन्नाभाई’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘पीके’ और ‘संजू’ जैसी फिल्में दे चुके हैं। इनका बॉक्स ऑफिस रिजल्ट अभी तक 100% रहा है। मतलब कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं हुई है। और साथ ही फिल्में भी ऐसी बनाई जिन्‍होंने सिनेमा की धारा को मोड़ने का काम किया है। जाहिर है ऐसे फिल्मकार के साथ जब शाहरुख खान जैसा चमकता सितारा हो, तो अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। राजकुमार हिरानी और गौरी खान द्वारा निर्मित यह फिल्म स्टूडियोज, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और राजकुमार हिरानी फिल्म्स के बीच एक सहयोग है। डंकी को अभिजात जोशी, राजकुमार हिरानी और कनिका ढिल्लन ने लिखा है। साथ ही राजू हिरानी ने पहली बार निर्माता विदू विनोद चोपड़ा के बिना कोई फिल्म डायरेक्ट की है।

डंकी की कहानी

डंकी की कहानी पंजाब के एक गांव लाल्टू की है। वहां के कुछ युवा तंगहाली से परेशान हैं। उनका सपना लंदन जाकर पैसे कमाना है। हालांकि गरीब घर से होने और अंग्रेजी न आने की वजह से उन्हें वीजा नहीं मिलता है।थक हारकर वे गैरकानूनी तरीके से लंदन जाने की तैयारी करते हैं। एक फौजी के रूप में शाहरुख खान इस गांव में आते हैं और इन बेसहारा युवाओं के रहनुमा बनते हैं। फिल्म में शाहरुख के किरदार का नाम हार्डी है। हार्डी लंदन जाने वाले तीन-चार लोगों के ग्रुप का लीडर बनता है। वो सड़क और समुद्र मार्ग से अपने लोगों को लेकर लक्ष्य की तरफ निकल पड़ता है। अब लंदन जाने के बीच क्या-क्या दिक्कतें आती हैं, पूरी कहानी इसी पर आधारित है।

डंकी की समीक्षा

बेहतरीन रोमांटिक फ़िल्म बनाने वाले निर्देशक इम्तियाज अली को पहली फ्लॉप ‘जब हैरी मेट सैजल’ के रूप में मिली जिसमें उन्हें शाहरुख को रोमांस कराया। देसी रोमांस के चैंपियन निर्देशक आनंद एल राय को पहली फ्लॉप मिली ज़ीरो जिसमें उन्होंने शाहरुख को बौना करके रोमांस कराया और अब राजू हिरानी शायद अपनी पहली फ़्लॉप होने से बचा ले गए क्योंकि फ़िल्म में सिर्फ रोमांस नहीं था। वैसे उन्होंने पूरा ‘वीर ज़ारा’ वाला सीन क्रिएट किया है। मतलब हर डायरेक्टर के मन में शाहरुख को रोमांस कराने की इच्छा दबी रहती है। फ़िल्म का टॉपिक अच्छा है, कहानी भी बोर नहीं करती लेकिन शाहरुख को 25-30 साल का युवा दिखाना या 50-60 साल का बूढ़ा दिखाना दोनों ही बहुत नकली लगे। अब शाहरुख अभिनय तो अच्छा कर लेंगे उससे कोई दिक्कत नहीं लेकिन किरदार की उम्र और पृष्ठभूमि उनकी कदकाठी पर फिट नहीं बैठ रही तो ये निर्देशक की एक ग़लती है जो उन्हें कास्ट किया गया। बाकी अन्य एक्टर अच्छे रहे। अनिल ग्रोवर सबसे बेस्ट रहे। अनिल ग्रोवर मशहूर कॉमेडियन सुनील ग्रोवर के भाई हैं जिनका बहुत बड़ा और मजबूत किरदार है फ़िल्म जिन्होंने तापसी पन्नू के दोस्त बल्ली के किरदार में काम भी सबसे बढ़िया किया है। विकी कौशल का बेहतरीन कैमियो है जो फ़िल्म का मजबूत पहलू है। तापसी, बोमन ईरानी का अभिनय अच्छा है।
फ़िल्म का सबसे मजबूत पक्ष है इसका सोशल मैसेज। डंकी मतलब गैर कानूनी तरीक़े से विदेश जाना। इसके नुकसान को अच्छी तरह से दिखाया है निर्देशक ने जो समाज को कड़वा सच दिखाने का काम करता है। फ़िल्म कहीं कहीं क्लास लगती हैं और कहीं कहीं मास। दोनों तरफ झूलते रहे निर्देशक जो राजू हिरानी की खासियत भी है। कहानी लगातार इंगेज करती है। इंग्लिश में इंटरव्यू वाले सीन हंसाते भी हैं लेकिन ऐसे सीन बहुत कम हैं। एक सीन इमोशनल भी करता है। डायलॉग अच्छे हैं। देशभक्ति वाला तड़का भी है।  डंकी की कॉमेडी देखने के बाद अब लगने लगा है कि आज सोशल मीडिया के ज़माने में विशुद्ध कॉमेडी बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। जोक्स से इंटरनेट भरा पड़ा है। निर्देशक राजू हिरानी अपनी ही फ़िल्मों के सीन दोहराते नजर आए। उनके जैसे दिग्गज निर्देशक की क्रिएटिविटी पहली बार कमतर नजर आयी।
शाहरुख खान की फिल्मों में गाने अक्सर चार्टबस्टर में शामिल होते हैं। इस फिल्म में ऐसा एक भी गाना नहीं है। फिल्म के गाने अलग से सुनने लायक नहीं हैं। अरिजीत सिंह की आवाज में एक गाना ‘माही’ जरूर सुनने में अच्छा लगता है।

देखें या न देखें

निर्देशक राजकुमार हिरानी की फ़िल्म से कम से कम 4 स्टार की उम्मीद होती है लेकिन डंकी को पौने तीन (2.75) स्टार से ज़्यादा देना मुश्किल है। सॉरी हिरानी साहब इस बार ‘3 इडियट्स’, पीके या मुन्नाभाई जैसा मज़ा नहीं आया। फ़िल्म देखने लायक तो है लेकिन इसके लिए ओटीटी तक इंतज़ार किया जा सकता है सिनेमाहॉल जाने की जरूरत नहीं। रेटिंग2.75*/5  ~गोविन्द परिहार (25.12.23)
संपर्क | अस्वीकरण | गोपनीयता नीति | © सर्वाधिकार सुरक्षित 2019 | BollywoodKhazana.in