29/04/2024

जन्मदिन विशेषांक: बॉलीवुड के ‘ट्रेजिडी किंग’ दिलीप कुमार

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जैसे सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट का भगवान कहा जाता है वैसे ही हिन्दी सिनेमा में दिलीप कुमार को ‘अभिनय का भगवान’ (Acting God) माना जाता है।  आज सिनेमा जगत में अमिताभ बच्चन को लोग सदी का महानायक मानते हैं लेकिन हिन्दी सिनेमा में अगर आप सबसे सफल और लोकप्रिय कलाकार का नाम तलाशेंगे तो शायद एक ही नाम उभर कर आए और वह हैं दिलीप कुमार (Dilip Kumar)। हिन्दी सिनेमा के स्वर्णिम काल में दिलीप कुमार ने हिन्दी सिनेमा को सबसे अधिक सफल फिल्में दी थीं। इंडस्ट्री में आने वाला हर नया कलाकार उन्हें अपना आदर्श के रूप में देखता है। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि अभिनय में सबसे ज्यादा नकल दिलीप कुमार के अभिनय की ही हुई है। मेला, शहीद, अंदाज, आन, देवदास, नया दौर, मधुमती, यहूदी, पैगाम, मुग़ल-ए-आज़म, गंगा-जमना, लीडर तथा राम और श्याम जैसी फिल्मों के सलोने नायक दिलीप कुमार स्वतंत्र भारत के पहले दो दशकों में लाखों युवा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन गए थे। अब तक भारतीय उपमहाद्वीप के करोड़ों लोग पर्दे पर उनकी चमत्कारी अभिनय कला का जायजा ले चुके हैं। दुखद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ‘ट्रेजडी किंग’ भी कहा जाता था। दिलीप कुमार को भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ के अलावा ‘पद्म भूषण’, ‘पद्म विभूषण’ और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ से भी सम्मानित किया गया। दिलीप कुमार अभिनेताओं के लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। उन्होंने हिन्दी सिनेमा में ऐसे कई मानक तय किए हैं जिन पर चलकर आज युवा अभिनेता अपना कॅरियर तय करते हैं। आईये जानते हैं दिलीप साहब के बारे में कुछ रोचक तथ्य-

दिलीप कुमार के बारे में 25 रोचक तथ्य

  1. पेशावर (अब पाकिस्तान में) में 11 दिसंबर, 1922 को जन्मे दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान है। इनके पिता का नाम लाला गुलाम सरवर था जो फल बेचकर अपने परिवार का पेट पालते थे। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार मुंबई आकर बस गया। पिता के व्यापार में घाटा होने के कारण वह पुणे की एक कैंटीन में सैंडविच स्टॉल लगाकर काम करने लगे थे।
  2. 1942 में वे अपने पिता और परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिये कुछ करना चाहते थे तभी उनकी मुलाकात चर्चगेट पर डॉ. मसानी से हुई जिन्होंने दिलीप कुमार को बॉम्बे टॉकीज, मलाड में उनके साथ आने को कहा। बॉम्बे टॉकीज़ में उनकी मुलाकात अभिनेत्री देविका रानी से हुई, जो बॉम्बे टॉकीज़ की मालिक थीं, उन्होंने ही दिलीप कुमार को यह नाम सुझाया और 1250 रुपये सालाना देने का सौदा करते हुए साईन कर लिया था।
  3. 1944 में ‘ज्वार भट्टा’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। उनकी पहली हिट फिल्म “जुगनू” थी। 1947 में रिलीज हुई इस फिल्म ने बॉलीवुड में दिलीप कुमार को हिट फिल्मों के स्टार की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
  4. 1949 में फ़िल्म “अंदाज़” में दिलीप कुमार ने पहली बार राजकपूर (Raj Kapoor) के साथ काम किया। यह फ़िल्म एक हिट साबित हुई। अंदाज़ एकमात्र फ़िल्म रही जिसमें राज कपूर और दिलीप कुमार ने साथ काम किया। दीदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा।
  5. लगातार कई समय तक ट्रेजिक किरदार निभाने के कारण वो डिप्रेशन में चले गए थे और उनके साइकेट्रीस्ट ने उन्हें हल्के-फुल्के किरदार निभाने की सलाह दी थी।
  6. 25 वर्ष की उम्र में दिलीप कुमार देश के नंबर वन अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए थे। वह आजादी का उदयकाल था। शीघ्र ही राजकपूर और देव आनंद के आगमन से ‘दिलीप-राज-देव’ की प्रसिद्ध त्रिमूर्ति का निर्माण हुआ।
  7. दिलीप साहब की देवानंद और राजकपूर दोनों से दोस्ती थी लेकिन राज साहब से उनके बड़े नजदीकी रिश्ते थे। दोनों ही पाकिस्तान के पेशावर में एक ही मोहल्ले, एक ही सड़क के रहने वाले थे। बिल्कुल भाइयों जैसा रिश्ता था। देव साहब थोड़ा अलग किस्म के शख्स थे लेकिन उनके साथ भी दिलीप साहब ने दोस्ती निभाई।
  8. 1961 में उन्होंने हिट ‘गंगा जमना‘ का निर्माण किया और अभिनय भी किया, जिसमें उन्होंने और उनके वास्तविक जीवन के भाई नासीर खान ने शीर्षक भूमिका निभाई। फिल्म की सफलता के बावजूद उन्होंने इसके बाद किसी भी फिल्म का निर्माण नहीं किया।
  9. ब्रिटिश निर्देशक डेविड लैन ने उन्हें 1962 के ब्लॉकबस्टर, अरब के लॉरेंस में शेरफ अली की भूमिका की पेशकश की थी। हालांकि, दिलीप कुमार ने इसका हिस्सा होने से मना कर दिया।
  10. इस महानायक ने सिर्फ 54 फिल्में क्यों की। लेकिन इसका उत्तर है दिलीप कुमार ने अपनी इमेज का सदैव ध्यान रखा और अभिनय स्तर को कभी गिरने नहीं दिया। इसलिए आज तक वे अभिनय के पारसमणि (टचस्टोन) बने हुए हैं जबकि धूम-धड़ाके के साथ कई सुपर स्टार, मेगा स्टार आए और आकर चले गए।
  11. दिलीप कुमार ने अभिनय के माध्यम से राष्ट्र की जो सेवा की, उसके लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्‍मभूषण की उपाधि से नवाजा था और 1995 में फिल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘दादा साहब फालके अवॉर्ड’ भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें 1997 में ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा था, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
  12. 1953 में फिल्मफेयर पुरस्कारों की शुरुआत के साथ ही दिलीप कुमार को फिल्म ‘दाग’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार‍ दिया था। अपने जीवनकाल में दिलीप कुमार कुल आठ बार फिल्मफेयर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पा चुके हैं और यह एक कीर्तिमान है जिसे अभी तक तोड़ा नहीं जा सका।
  13. फिल्मफेयर ने ही उन्हें 1993 में राज कपूर की स्मृति में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया। 1997 में उन्हें भारतीय सिनेमा के बहुमूल्य योगदान देने के लिए एनटी रामाराव अवॉर्ड दिया गया, जबकि 1998 में समाज कल्याण के क्षेत्र में योगदान के लिए रामनाथ गोयनका अवॉर्ड दिया गया।
  14. दिलीप कुमार ने सभ्य, सुसंस्कृत, कुलीन होकर रंगीन और रंगहीन (श्वेत-श्याम) सिनेमा के पर्दे पर अपने आपको कई रूपों में प्रस्तुत किया। असफल प्रेमी के रूप में उन्होंने विशेष ख्याति पाई, लेकिन यह भी सिद्ध किया कि हास्य भूमिकाओं में वे किसी से कम नहीं हैं। वे ट्रेजेडी किंग भी कहलाए और ऑलराउंडर भी।
  15. दिलीप कुमार पहले अभिनेत्री कामिनी कौशल (Kamini Kaushal) से प्यार करते थे लेकिन उनकी शादी नही हो पायी। परिणामस्वरूप, दिलीप कुमार को बाद में अभिनेत्री मधुबाला (Madhubala) से प्यार हुआ लेकिन दोनों के परिवारों ने उनका विरोध किया। बाद में फ़िल्मी जानकारों ने वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) को दिलीप कुमार का तीसरा प्यार बताया। दोनों ने ही अपने करियर में 1955 से 1968 के दरमियाँ काफी सफल फिल्में भी दी लेकिन अंततः 1966 में दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो (Saira Banu) से शादी कर ली, जो उस समय उनसे 22 साल छोटी थी।
  16. जिस समय दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी उस समय सायरा बानो 22 और दिलीप साहब 44 साल के थे। आज यह जोड़ी बॉलीवुड की सबसे प्रसिद्ध जोड़ियों में से एक है। सायरा बानो के मुताबिक दिलीप कुमार को वह तब से चाहती थीं जब वो केवल 12 साल की थीं। 1952 में रिलीज हुई ‘दाग’ में दिलीप कुमार को देखने के बाद वे उन्हें अपना दिल दे बैठी थीं।  वहीं, दिलीप कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हे सायरा से तब प्यार हुआ जब वो उनकी बर्थडे पार्टी में गए थे। इसके बाद दिलीप कुमार ने सायरा को उस समय प्रपोज किया जब वो ‘झुक गया आसमान’ की शूटिंग कर रही थीं।
  17. दिलीप-सायरा की शादी के 50 साल के बाद भी दोनों की कोई संतान नहीं है। दिलीप कुमार ने इस बात का खुलासा अपनी आत्मकथा ‘द सबस्टांस एंड द शैडो’ में किया था। आत्मकथा में दिलीप कुमार ने कहा है, “सच्चाई यह है कि 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूरी तरह से विकसित हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था। आखिरकार दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई” उनके मुताबिक इस घटना के बाद सायरा कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकीं। हालांकि हमें बाद में पता चला कि सायरा की कोख में बेटा था।”
  18. दिलीप कुमार ने 1980 में आसमा रहमान से दूसरी शादी भी की, लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा समय तक नही टिक सकी।
  19. मदर इंडिया (Mother India) से जुड़ा एक किस्सा है जो दिलीप कुमार ने खुद बताया है। दिलीप कुमार ने बताया कि मदर इंडिया से पहले वो दो फिल्मों में नरगिस (Nargis) के हीरो के तौर पर काम कर चुके थे। ऐसे में उनके बेटे के तौर पर नजर आना उन्हें ठीक नहीं लगा इसलिए उन्होंने मदर इंडिया का ऑफर ठुकरा दिया।
  20. 1980 से लेकर 1990 में उन्होंने अपनी उम्र के अनुसार किरदार निभाने शुरू कर दिए। शक्ति (1982), कर्मा (1986) और सौदागर (1991) के बाद 1998 में आई ‘क़िला’ उनकी आख़िरी फिल्म थी। क़िला में उन्होंने दोहरी भूमिका निभाई थी।
  21. ‘राम और श्याम’ में उन्होंने जुड़वाँ भाइयों का किरदार निभाया था जो जन्म के समय अलग हो जाते हैं और बड़े होकर वापिस मिलते हैं, ये कहानी और किरदार बहुत वर्षों तक बॉलीवुड के लिए प्रेरणादायी रहे, और इस तरह की कई फिल्में बनी।
  22. दिलीप कुमार की आटोबॉयोग्राफी ‘द सब्सटेंस एंड द शेडो’ मुंबई में उनकी उपस्थिति में जारी की गई। इसे उदया तारा नायर ने लिखा है। पूरा बॉलीवुड इस अवसर पर उमड़ पड़ा। जहां प्रियंका चोपड़ा जैसे वर्तमान सितारे थे तो धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, आमिर ख़ान जैसे सीनियर अभिनेता भी इस खास मौके के साक्षी बनने के लिए उपस्थित थे।
  23. दिलीप साहब ने रमेश सिप्पी की ‘शक्ति’ में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ पहली बार और आख़िरी बार काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।
  24. शक्ति, राम और श्याम, लीडर, कोहिनूर, नया दौर, देवदास, आज़ाद और दाग़ के लिए कुल 8 बार इन्हें फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार का पुरस्कार मिला है।
  25. पांच दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले दिलीप कुमार राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। दिलीप साहब का 98 वर्ष की आयु में 7 जुलाई, 2021 को निधन हो गया।
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