29/04/2024

संजय दत्त की टॉप 10 फ़िल्में

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संजय दत्त की टॉप-10 फ़िल्में / Top 10 Films of  Sanjay Dutt

बॉलीवुड के संजू बाबा यानी संजय दत्त, सुनील दत्त (Sunil Dutt) एवं नर्गिस (Nargis) के पुत्र हैं। एक बाल कलाकार के रूप में संजय दत्त ने अपने पिता द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘रेशमा और शेरा’ में 1972 में डेब्यू किया। इस फ़िल्म में वो एक कवाली गायक के रूप में दिखाई दिये। 1981 में फ़िल्म ‘रॉकी’ (Rocky) से संजय दत्त ने बॉलीवुड में धमाकेदार प्रवेश किया। 1982 की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्म ‘विधाता’ से संजय दत्त स्टार बने। उन्होंने फ़िल्मों में प्रेमी, हास्य जैसे अभिनय भी किये और अपराधी, ठग और पुलिस अधिकारी का अभिनय भी किया जिसके लिए अपने प्रशंसकों और फ़िल्म समालोचकों से अभूतपूर्व प्रशंसा प्राप्त की। वर्ष 1986 में ‘नाम’ फ़िल्म से संजय ने समालोचकों से भी प्रशंसा प्राप्त की और विकी कपूर के रूप में अपनी संवेदनशील अग्रणी भूमिका के लिए प्रशंसा अर्जित की। उन्होंने महेश भट्ट की फ़िल्म ‘कब्ज़ा’ (1988) और जेपी दत्ता की फ़िल्म ‘हथियार’ (1989) के लिए भी आलोचकों से प्रशंसा प्राप्त की। 1993 में रिलीज सुभाई घई की ‘खल नायक’ (Khal Nayak) से संजय दत्त बालीवुड पर छा गये। ‘खल नायक’ का गाना ‘नायक नहीं खल नायक हूं मैं… बहुत प्रसिद्ध हुआ। ‘वास्तव’ (1999) के लिये उन्हें पहला फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला। 2003 में रिलीज राजकुमार हिरानी की ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ उनकी सबसे सफल फ़िल्म मानी जाती है। इस फ़िल्म में संजय दत्त को मुन्ना भाई का बेहतरीन किरदार निभाने के लिए विभिन्न पुरस्कारों सहित भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से भी पुरस्कार मिला।

10. रॉकी / Rocky (1981)

शैली– एक्शन-रोमांस निर्देशक– सुनील दत्त अन्य कलाकार- रीना रॉय, टीना मुनीम, रंजीत, राखी, अरुणा ईरानी, शक्ति कपूर आदि

विशेष नोट- रॉकी संजय दत्त के करियर की पहली फिल्म थी और उनकी मां नरगिस की 1981 में कैंसर के बाद मृत्यु हो गई। यह संजय के पिता सुनील दत्त ने निर्देशित की थी। रॉकी (संजय दत्त), एक लापरवाह युवक है जो सुन्दर रेणुका से प्यार करता है और उसके साथ भविष्य का सपना देख रहा है। हालांकि उसके अंधेरे अतीत से अनजान उसे पता चलता है कि उसका असली नाम राकेश है और अज्ञात कारणों से उसके जन्म के पिता की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के रॉकी एक ऐसे रास्ते पर जाता है, जो उसके द्वारा छोड़े गए परिवार को खोने के कारण खत्म कर सकता है। इस फ़िल्म का गाना क्या यही प्यार है बहुत बड़ा हिट हुआ था। यह साल 10वीं सबसे बड़ी हिट थी।

9. सड़क / Sadak (1991)

शैली– एक्शन-ड्रामा-रोमांस निर्देशक– महेश भट्ट अन्य कलाकार- पूजा भट्ट, सदाशिव अमरापुरकर, दीपक तिजोरी, अवतार गिल, पंकज धीर, नीलिमा अज़ीम आदि

विशेष नोट- टैक्सी ड्राइवर रवि (संजय दत्त) वर्तमान में रहने और अपने भयानक अतीत को भूलने की कोशिश कर रहा है। वह पूजा (पूजा भट्ट) को एक वेश्यालय से छुडवाता है जिसके बाद पूजा, रवि के प्यार में पड़ जाती है। रवि, पूजा से शादी करना चाहता है और उसे एक नया जीवन देना चाहता है, लेकिन वेश्यालय की प्रमुख महारानी (सदाशिव अमरापुरकर) ऐसा नहीं चाहती हैं। एक दुखद अतीत के साथ जी रहे संजय दत्त ने टैक्सी चालक की भूमिका अच्छी तरह निभाई। एक्शन से भरी हुई इस फ़िल्म का संगीत बहुत हिट हुआ। इस वजह से भी फ़िल्म को ब्लॉकबस्टर सफलता मिली थी। हाल ही में सड़क 2 (2020) के रूप में इसका सीक्वल भी बना जिसमें आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने संजय दत्त की बेटी की भूमिका निभाई।

8. अग्निपथ / Agnipath (2012)

शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा निर्देशक– करण मल्होत्रा अन्य कलाकार- हृतिक रोशन, संजय दत्त, प्रियंका चोपड़ा, ऋषि कपूर, ओम पुरी, चेतन पंडित आदि

विशेष नोट- यह अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत अग्निपथ (1990) की रीमेक है। अमिताभ बच्चन ने आवाज बदलकर संवाद डब किए थे, जो दर्शकों की समझ में ही नहीं आए और इसे फिल्म के पिटने का मुख्य कारण माना गया। किसी ‍फ्लॉप फिल्म का रीमेक बनना बिरला उदाहरण है। इसमें संजय दत्त ने डैनी वाला रोल (कांचा चीना) निभाया है। अग्निपथ के जरिये उस दौर को याद किया गया है जब बाप का बदला, रोती हुई विधवा मां, बहन की इज्जत, खौफनाक विलेन और शक्तिशाली हीरो के इर्दगिर्द कहानी घूमती थी। अग्निपथ उस दौर के हाई वोल्टेज रिवेंज ड्रामा को अच्छे से पेश करती है। पूरी फ़िल्म में संजय दत्त का गंजा लुक छाया रहता है। उनकी शुद्ध हिंदी, गीता और महाभारत का उल्लेख उनके किरदार को दिलचस्प बनाता है। कांचा चीना के रूप में संजू बाबा बेहद जमे हैं जो उनके प्रशंसकों के लिए किसी उपहार से कम नहीं।

7. धमाल / Dhamaal (2007)

शैली– कॉमेडी-ड्रामा निर्देशक– इंद्र कुमार अन्य कलाकार-  रितेश देशमुख, अरशद वारसी, जावेद जाफ़री, आशीष चौधरी, असरानी, संजय मिश्रा, विजय राज आदि

विशेष नोट- यह फ़िल्म ‘इट्स ए मैड, मैड, मैड, मैड वर्ल्ड’ अमेरिकी कॉमेडी फिल्म (1963) से काफी प्रेरित है। यह धमाल सीरीज की पहली फ़िल्म है। बहुत ही मनोरंजक यह फिल्म साबित करती है कि अच्छी फ़िल्म को हीरोइन की ज़रूरत नहीं होती है। फ़िल्म की कास्ट बहुत अच्छी है और सभी किरदारों ने बेहतरीन काम किया है। इस फ़िल्म की सबसे ख़ास बात यह कि पूरी फिल्म में सभी किरदारों ने एक ही कॉस्ट्यूम पहनी है। कहानी साफ़-सुथरी है घर-परिवार में एकसाथ बैठकर देखी जा सकती है। फिल्म में संजय दत्त और रितेश देशमुख की कॉमिक टाइमिंग यादगार है।

6. साजन / Saajan (1991)

शैली– म्यूजिकल-रोमांस-ड्रामा निर्देशक– लॉरेन्स डिसूजा अन्य कलाकार-  सलमान ख़ान, माधुरी दीक्षित, कादर ख़ान, रीमा लागू, एकता साहनी आदि

विशेष नोट- प्रेम त्रिकोण पर आधारित साजन बॉलीवुड की सर्वश्रेष्ठ म्यूजिकल हिट में शामिल है। पैर से विकलांग अमन (संजय दत्त) एक शायर है जो सागर के नाम से शायरी लिखता है। सागर की शायरी को पसंद करते-करते पूजा (माधुरी दीक्षित) को सागर से प्यार हो जाता है। जब अमन को पता चलता है कि पूजा, सागर (यानी खुद) से प्यार करती है और उसकी प्रशंसा करती है, तो वह अपने प्यार को पाने की कोशिश करता है, लेकिन तब ही अमन को पता चलता है कि उसका अपना भाई आकाश (सलमान ख़ान) भी पूजा से प्यार करता है। प्रेम के इस त्रिकोण में प्यार के लिए कौन बलिदान देगा यही फ़िल्म का सार है। फ़िल्म के गाने मेरा दिल भी कितना पागल है, तुमसे मिलने की तमन्ना है, बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम, जियें तो जियें कैसे बिन आपके.. आज भी सुने जाते हैं। एक्शन हीरो संजय दत्त का एक अलग ही चरित्र इस फ़िल्म में देखने को मिलता है जो दर्शकों को लुभाने में पूरी तरह कामयाब होता है। यह 1991 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म थी।

5. नाम / Naam (1986)

शैली– एक्शन-क्राइम-थ्रिलर निर्देशक– महेश भट्ट अन्य कलाकार-  नूतन, कुमार गौरव, अमृता सिंह, पूनम ढ़िल्लन, परेश रावल आदि

विशेष नोट- विक्की के रूप में संजय दत्त एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभाते हैं जो सफलता के रास्ते में खो जाता है और ड्रग पेडलर बन जाता है। आपराधिक जीवन से बचने में असमर्थ अपने प्यार भाई रवि के लिए वह सबकुछ छोड़कर वापस भारत आने के लिए प्रेरित होता है। बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित रही ‘नाम’ भारत के अधिकांश सिनेमाघरों में एक साल तक चलती रही और 1980 के दशक की आठवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई। फिल्म के गीत-संगीत ने इसकी बड़ी सफलता में योगदान दिया। इस फ़िल्म में फैमिली इमोशन (भाई-भाई का प्यार, मां-बेटे का प्यार), रोमांस, एक्शन, गीत-संगीत, बेहतरीन अभिनय, बेहतरीन निर्देशन सबकुछ परफेक्ट था। पंकज उदास द्वारा गाया हुआ गीत “चिट्टी आयी है” दुनिया भर में बीबीसी रेडियो द्वारा सहस्राब्दी के 100 गीतों में से एक के रूप में चुना गया था।

4. लगे रहो मुन्ना भाई / Lage Raho Munna Bhai (2006)

शैली– कॉमेडी-ड्रामा-रोमांस निर्देशक– राजकुमार हिरानी अन्य कलाकार-  अरशद वारसी, विद्या बालन, बोमन ईरानी, दीया मिर्ज़ा, दिलीप प्रभावलकर आदि

विशेष नोट- ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ 21वी सदी के शुरूआत के भारतीयों के सोच से जुड़ी हुई कहानी है। इसमें हँसी के फव्वारे के साथ दिल को छू लेने वाला संदेश देने की कोशिश की गई है। गैंगस्टर मुन्ना (संजय दत्त) को एक रेडियो जॉकी से प्यार हो जाता है। वह उससे मिलने के लिये महात्मा गांधी से जुड़ी प्रतियोगिता जीतता है। मुन्ना, गांधी जी के बारे में जानने के लिए बहुत किताबें पढ़ता है। गांधी जी खुद उसके सामने आ जाते हैं और मुन्ना के माध्यम से सबकी परेशानियों को दूर करते हैं। यह ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ फ़िल्म की अगली कड़ी है। संजय दत्त की अभिनय शैली और अरशद वारसी की कॉमिक टाइमिंग बेहतरीन है। यह राजकुमार हिरानी की दूसरी फ़िल्म थी जो पहली “मुन्ना भाई एमबीबीएस” से भी अधिक पसंद की गयी। इस फ़िल्म को ‘सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सबसे लोकप्रिय फ़िल्म’ सहित 4 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

3. मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस / Munna Bhai MBBS (2003)

शैली– कॉमेडी-ड्रामा-म्यूजिकल  निर्देशक– राजकुमार हिरानी अन्य कलाकार-  सुनील दत्त, अरशद वारसी, ग्रेसी सिंह, बोमन ईरानी, जिम्मी शेरगिल आदि

विशेष नोट- संजय दत्त के फ़िल्मी कैरियर को नई दिशा देने वाली बहुत यादगार फ़िल्म है मुन्ना भाई एमबीबीएस। फिल्म व्यापक रूप से 21वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाती है। यह 2004 में सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता, और 2004 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में, इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद पुरस्कार और फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का पुरस्कार मिला। इस फिल्म को तेलुगु में ‘शंकर दादा एमबीबीएस’, तमिल में वसूल राजा एमबीबीएस, कन्नड़ में उप्पी दादा एमबीबीएस और सिंहली में डॉ. नवरियन के रूप में रीमेक किया गया है। इस फ़िल्म से ही राजकुमार हिरानी जैसे बेहतरीन लेखक-निर्देशक बॉलीवुड को मिले जिनकी फ़िल्में दर्शक को हंसाने के साथ-साथ समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं।

2. खल नायक / Khal Nayak (1993)

शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा  निर्देशक– सुभाष घई अन्य कलाकार- माधुरी दीक्षित, जैकी श्रॉफ़, अनुपम खेर, राखी, राम्या कृष्णन, नीना गुप्ता आदि

विशेष नोट- ‘नायक नहीं, खल नायक हूं मैं’… जब भी किसी के दिमाग में संजय दत्त का नाम आता है तो ये गाना आंखों में तैर जाता है। खल नायक एक ऐसी कहानी है जो भारतीय समाज के काले चेहरे को उजागर करती है, जिसे आप हर दिन देखने वाले निर्दोष व्यक्ति के पीछे छिपाते हैं, खल नायक बॉलीवुड की अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक मानी जाती है। संजय दत्त ने गैंगस्टर बल्लू बलराम प्रसाद का किरदार निभाया है। बचपन में जीवन की वास्तविकता को देखने के बाद, बल्लू घर से भाग जाता है और रोजी के लिए एक दूत के रूप में काम करना शुरू कर देता है। कई साल बाद इंस्पेक्टर राम (जैकी श्रॉफ) ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए अपनी मंगेतर गंगा (माधुरी दीक्षित) को बल्लू को आत्मसमर्पण करने के लिए भेजता है। लेकिन इस दौरान बल्लू, गंगा के प्यार में पड़ जाता है और उसके वास्तविक उद्देश्यों को महसूस करने के बाद राम की योजना उसके लिए खल नायक बन जाती है। इसमें नीना गुप्ता पर फ़िल्माया गया गीत ‘चोली के पीछे क्या है’ बहुत बड़ा ब्लॉकबस्टर हिट हुआ था। फ़िल्म को 2 फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिले।

1. वास्तव: द रियलटी / Vaastav: The Reality (1999)

शैली– एक्शन-क्राइम-ड्रामा  निर्देशक– महेश मंजरेकर अन्य कलाकार-   नम्रता शिरोडकर, मोहनीश बहल, शिवाजी सतम, रीमा लागू, परेश रावल आदि

विशेष नोट- बिना संदेह वास्तव संजय दत्त की अब तक सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म है। इस फिल्म को आलोचकों और दर्शकों दोनों ने बहुत सराहा। संजय दत्त ने फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए अपना पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। मुंबई की एक विशिष्ट चॉल में रघु (संजय दत्त) एक दुकान खोलता है ताकि वह अपने परिवार की देखभाल कर सके और गरीबी के खिलाफ लड़ाई जारी रख सके, जिसमें उसके कुछ दोस्त हिस्सेदार होते हैं। वह और उसका दोस्त डेढ़ फ़ुटिया गलती से माफिया स्वामी के भाई को मार देते हैं, तो वे भगोड़े बन जाते हैं। डॉन और पुलिस के प्रकोप से खुद को बचाने के लिए, रघु एक राजनेता के संरक्षण में खुद डॉन बनने का विकल्प चुनता है। मुंबई के अंडरवर्ल्ड के अंधेरे पक्ष को प्रदर्शित करते हुए, माफिया की दुनिया में गहरे उतरते हैं और एक आम आदमी के जीवन पर इसका प्रभाव पड़ता है। कई वर्षों बाद यह एक क्लट फिल्म बन गई। फिल्म को तमिल भाषा में डॉन चेरा (2006) के रूप में बनाया गया था। 2002 में इसका सीक्वल ‘हथियार’ के रूप में बना था जिसमें संजय दत्त और शिल्पा शेट्टी ने मुख्य भूमिका निभाई है।

अन्य महत्वपूर्ण फ़िल्में

परिणीता, शूटआउट एट लोखंडवाला, हथियार (1989), हसीना मान जायेगी, गुमराह, केजीएफ़-2, दुश्मन, मिशन कश्मीर, दौड़, थानेदार, कांटे, विधाता, कुरुक्षेत्र, जोड़ी नं.1, आतिश और जीते हैं शान से।

{अपडेट दिनांक:- 7 मई 2022}

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