16/12/2025

फ़िल्म समीक्षा: तेरे इश्क में

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तेरे इश्क में एक गुस्सैल लेकिन प्रेम में डूबे इंसान की कहानी है। शंकर गुरुक्कल (धनुष), जो दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ (DUSU) का अध्यक्ष है। उसका स्वभाव बाग़ी और हिंसक है। मुक्ति बेनीवाल (कृति सेनन) उसी कॉलेज की छात्रा है। वह अपनी पीएचडी थीसिस में यह सिद्ध करना चाहती है कि हिंसक प्रवृत्ति वाले आदमी को सही तरीके से संभाला जाए तो वह पूरी तरह बदलकर शांतिप्रिय इंसान बन सकता है। इसी दौरान शंकर एक छात्र का पीछा करते हुए हंगामा कर देता है। प्रोफेसर इस घटना के आधार पर कहते हैं कि कुछ लोग कभी नहीं बदलते। मुक्ति चुनौती लेती है कि वह शंकर को बदलेगी। इस पर बात बनती है कि अगर वह ऐसा कर लेती है तो उसकी थीसिस पास कर दी जाएगी। शुरुआत में शंकर तैयार नहीं होता, पर बाद में मान जाता है। बदलते-बदलते वह मुक्ति से गहरा प्यार करने लगता है। वह अपने व्यवहार में भी बड़ा बदलाव ला देता है और मुक्ति अपनी पीएचडी पूरी कर लेती है। यहीं शंकर को एहसास होता है कि मुक्ति की भावनाएँ उसके लिए वैसी नहीं हैं जैसी उसकी मुक्ति के लिए। यह उसे तोड़ देता है और वह दुनिया पलट देने का फैसला करता है। 7 साल बाद दोनों की मुलाक़ात फिर होती है, और यहीं से कहानी का दूसरा हिस्सा शुरू होता है।

‘तेरे इश्क में’ की समीक्षा

ट्रेलर से जैसी उम्मीद थी वैसी तो नहीं निकली लेकिन देखने लायक तो है! फ़िल्म में काफी कुछ गहरा लेकिन बहुत ही नाटकीय स्तर पर दिखाया है! निर्देशक आंनद एल राय और लेखक हिमांशु शर्मा ने एक बार फिर साबित किया है वे दर्शकों की नब्ज पकड़ने में अब भी माहिर है! रांझणा की टीम फिर से वही जादू दिखाने में कामयाब हुई है लेकिन आज के अंदाज़ में! फ़िल्म बार बार रांझणा की याद दिलाती है लेकिन फ़्लेवर बिल्कुल अलग है! फ़िल्म में कमियां है लेकिन कुछ पक्ष बेहद मजबूत हैं! जैसे- अभिनय, संवाद, बैकग्राउंड म्यूजिक। कहानी बहुत साधारण है लेकिन दिखाने का तरीका इंगेज रखता है।
कमियों की बात करें तो, फिल्म का दूसरा भाग कमजोर पड़ता है। कई घटनाएँ अत्यधिक सुविधाजनक ढंग से घटती हैं और फ़र्स्ट हाफ जितनी असरदार नहीं लगतीं। वर्तमान समय वाली कहानी में प्लॉट थोड़ा उलझा हुआ भी महसूस होता है । सिनेमैटिक स्वतंत्रता (cinematic liberties) भी बहुत अधिक ले ली गई हैं जैसे घायल शंकर का आसानी से एक IAS अधिकारी के घर में घुस जाना (जबकि इस जगह पर कुछ दिन पहले हमला हुआ था और यहाँ भारी सुरक्षा होनी चाहिए थी), या एक डिप्रेशनग्रस्त, शराबी, गर्भवती महिला को ऊँचाई वाले इलाके में भेज देना । फिल्म का क्लाइमैक्स भी जरूरत से ज्यादा लंबा खिंचता है इसे प्रभावशाली बनाया गया है, लेकिन इसका प्रभाव उतना गहरा नहीं बैठता।

अभिनय एवं तकनीकी पक्ष

दिलजले आशिक और एयर फोर्स में तेजस पायलेट के रूप में धनुष ने कहर ढाया है। वे हर एक फ्रेम में छाए रहते हैं! कृति सैनन के किरदार में भी कई शेड्स हैं, उन्होंने भी बेहतरीन अभिनय किया है। शायद बरेली की बर्फी के बाद बेस्ट परफॉर्मेंस हैं! धनुष के पिता के रोल में प्रकाश राज ने इमोशनल कर दिया है। फ़िल्म में इमोशन बहुत तगड़ा है जो कनेक्ट कर गया उसे कहानी एकदम ब्लॉकबस्टर लगेगी! जीशान अयूब के जरिये रांझणा की कहानी से बेहतरीन ढंग से जोड़ा है उसके लिए आधा स्टार अलग से दिया जा सकता है! फ़िल्म के कई सीन इतने अच्छे हैं कि दोबारा देखने का मन हो सकता है!ए. आर. रहमान का संगीत फिल्म के प्रभाव को और बढ़ा देता है। हालाँकि, सबसे अधिक सराहा गया टाइटल ट्रैक फिल्म में पूरी तरह नहीं बजाया गया है। दोनों ‘जिगर ठंडा’ वर्ज़न बेहद प्रभावशाली हैं। ‘चिन्नावारे’ इसलिए खास बन जाता है क्योंकि यह एक पूरी तरह तमिल गाना है, वह भी एक हिंदी फिल्म में। ‘लड़की जैसी’ याद रह जाने वाला गीत है। इसके अलावा, ‘आवारा अंगारा’ और ‘उसे कहना’ भी अच्छी तरह से कंपोज़ और प्लेस किए गए हैं। रहमान का बैकग्राउंड स्कोर इस तरह की फिल्म के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

देखें या न देखें

तेरे इश्क में एक इंटेंस प्रेम कहानी है, जिसे दमदार ड्रामाई क्षणों और धनुष व कृति सेनन के मजबूत अभिनय के लिए देखा जा सकता है। ⭐⭐⭐ ~गोविन्द परिहार  (29.11.25)

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