चलती का नाम गाड़ी / Chalti Ka Naam Gaadi (1958)
शैली- कॉमेडी-म्यूजिकल-रोमांस (2 घंटे 53 मिनट) रिलीज- 8 दिसंबर, 1958
निर्माता- अनूप शर्मा, किशोर कुमार निर्देशक- सत्येन बोस
लेखक- गोविन्द मूनिस, रमेश पन्त
गीतकार- मजरूह सुल्तानपुरी संगीतकार- एस.डी. बर्मन
संपादन– आर.एम. टिपनिस सिनेमैटोग्राफ़ी– आलोक दासगुप्ता
मुख्य कलाकार- अशोक कुमार, किशोर कुमार, मधुबाला, अनूप कुमार, के एन सिंह, मोहन चोटी, वीना, कुक्कू, हेलन आदि
कथावस्तु
फ़िल्म की कहानी के अनुसार तीनों मुख्य नायक आपस में भाई-भाई (ब्रजमोहन, जगमोहन और मनमोहन) हैं जो शहर में एक गैराज चलाते हैं। तीनों भाई कंवारे हैं, साथ ही लड़कियों के साथ उनका अजीब ही नाता है। एक दिन रात में एक लड़की अपनी खराब गाड़ी लेकर इनकी गैराज में पहुंचती है और शुरुआती होती गुदगुदाती कहानी की, जो दर्शकों को बांधकर रखती है।
गीत-संगीत
एसडी बर्मन का मेलोडियस संगीत, जिसे माँझने में जयदेव और आर डी बर्मन का भरसक सहयोग रहा, मजरूह सुलतानपुरी के जबरदस्त गीत, फिल्म के ब्लैक एंड व्हाइट होते हुए भी, आज भी तरोताजा से लगते हैं।
- बाबू समझो इशारे (किशोर कुमार, मन्ना डे)
- एक लड़की भीगी भागी सी (किशोर कुमार)
- इन हाथों से सब की गाड़ी (किशोर कुमार)
- हम थे, वो थी और समा रंगीन (किशोर कुमार)
- मैं सितारों का तराना (आशा भोसले, किशोर कुमार)
- हाल कैसा है जनाब का (आशा भोसले, किशोर कुमार)
- हम तुम्हारें हैं (आशा भोसले, किशोर कुमार)
- रुक जाओ ना जी (आशा भोसले)
रोचक तथ्य
- ऐसा माना जाता है कि किशोर कुमार ने इस फिल्म का निर्माण घाटा खाने के इरादे से किया था, वे टैक्स के मारे थे, इस प्रोजेक्ट में मात खाकर हिसाब चुकता कर देना चाहते थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। फिल्म सुपर हिट ही नहीं, साल 1958 की बॉक्स ऑफिस में सबसे ज्यादा कलेक्शन करने वाली फिल्मों में यह मधुमती के बाद दूसरे नंबर पर रही।
- कहा तो यह भी जाता है कि, गांगुली ब्रदर्स (तीनों हीरो), मार्क्स ब्रदर्स से प्रभावित थे, लेकिन मात्र इस संयोग के, कि तीनों भाई इस फिल्म में पहली बार एक साथ नजर आए, अन्य कोई प्रभाव नजर नहीं आता। इससे पहले भाई-भाई (1956) और बंदी (1957) में अशोक कुमार और किशोर कुमार साथ-साथ नजर आए।