चित्रलेखा / Chitralekha (1964)
शैली- कॉमेडी-ड्रामा-हिस्ट्री (2 घंटे 15 मिनट) रिलीज- 1964
निर्माता- ए के नाडियाडवाला निर्देशक- किदार शर्मा
मूल लेखक- भगवती चरण वर्मा पटकथा- किदार शर्मा, राजिंदर कुमार शर्मा
गीतकार- साहिर लुधियानवी संगीतकार- रोशन
संपादन– प्रभाकर गोखले सिनेमैटोग्राफ़ी– डीसी मेहता
मुख्य कलाकार
- मीना कुमारी – चित्रलेखा
- अशोक कुमार – कुमारगिरि
- प्रदीप कुमार – आर्यपुत्र सामंत बीजगुप्त
- महमूद – ब्रह्मचारी स्वेतांक
- मीनू मुमताज़ -नौकरानी
- अचला सचदेव – गायत्री देवी
- बेला बोस – देवी महामाया
- नीता – अनुराधा
कथावस्तु
ये फिल्म उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास ‘चित्रलेखा’ (1934) पर आधारित है। जब आर्यपुत्र सामंत बीजगुप्त यशोधरा की उपेक्षा करते हैं और राजनर्तकी चित्रलेखा के पास आते रहते हैं, तो यशोधरा के पिता मृत्युंजय ब्रह्मचारी योगी कुमारगिरि के पास जाते हैं, जो चित्रलेखा को फटकार लगाते हैं और उससे बीजगुप्त को मुक्त करने के लिए कहते हैं ताकि वह शादी कर सके और एक उत्तराधिकारी पैदा कर सके। वह शुरू में मना कर देती है, लेकिन बाद में अपनी भव्य जीवन शैली को त्यागने का फैसला करती है, और कुमारगिरि और उनके पुरुष शिष्यों के आश्रम में फिर से रहने लगती है, जिससे निराश बीजगुप्त के पास सम्राट चंद्रगुप्त के अनुरोध को स्वीकार करने और यशोधरा से शादी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।
गीत-संगीत
साहिर लुधियानवी के गीत और रोशन का संगीत कर्ण प्रिय हैं। ‘संसार से भागे फिरते हो’ और ‘मन रे तू काहे न धीर धरे’ आज भी लोकप्रिय हैं।
- ए री जाने न दूँगी (लता मंगेशकर)
- सखी री मेरा मन उलझे (लता मंगेशकर)
- संसार से भागे फिरते हो (लता मंगेशकर)
- काहे तरसवा जिवरा, यौवन रूत साजन आके न जाए (आशा भोसले, उषा मंगेशकर)
- छा गए बदल नील गगन पर (आशा भोसले, मोहम्मद रफी)
- मन रे तू काहे न धीर धरे (मोहम्मद रफी)
- मारा गया ब्रह्मचारी (मन्ना डे)
रोचक तथ्य
- यह फिल्म इसी नाम से 1941 में इसी निर्देशक द्वारा ब्लैक एंड वाईट में बन चुकी थी। जो उस साल दूसरी सबसे बड़ी हिट साबित हुई थी। इसे ही 1964 में रीमेक किया गया लेकिन रीमेक उतना सफल नहीं हुआ।
- यह मीना कुमारी की पहली रंगीन फिल्म थी।