फ़िल्म समीक्षा: जवान
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इसी साल ‘पठान’ जैसी ऑलटाइम ब्लॉकबस्टर देने वाले शाहरुख खान की ‘जवान’ (Jawan) सिनेमाघरों में 7 सितंबर को रिलीज हुई। फिल्म में शाहरुख खान, नयनतारा, विजय सेतुपति, सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि, सुनील ग्रोवर, संजय दत्त, लहर खान और रिद्धि डोगरा अहम किरदारों में हैं जबकि दीपिका पादुकोण का अहम कैमियो है। जवान को लेकर जबरदस्त हाइप थी और फैन्स फिल्म का बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। खास बात यह कि जवान आया और छा गया। शाहरुख खान ने फिल्म को लेकर किसी भी तरह से फैन्स को निराश नहीं किया है और 2 घंटे 50 मिनट की फिल्म पानी की तरह बहती है और एक्शन से लेकर इमोशन और मैसेज तक की भरपूर डोज देकर जाती है। आइए जानते हैं कैसी है जवान-
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‘जवान’ की कहानी
कहानी की बात करें, तो ‘जवान’ के प्लॉट में कई परतें हैं। फिल्म की शुरुआत मुंबई मेट्रो के हाइजैक से होती है, जहां आजाद (शाहरुख खान) अपनी गर्ल गैंग लक्ष्मी (प्रियामणि), ईरम (सान्या मल्होत्रा), हेलना (संजीता भट्टाचार्य) आलिया कुरैशी, लहर खान के साथ मिलकर ये काम करता है। इस गर्ल गैंग की सभी लड़कियों का एक दर्दनाक अतीत है, जिसके कारण वे आजाद का साथ देने को राजी होती हैं। शुरू में विलेन दिखने वाला आजाद असल में रॉबिनहुड है, जो काली करतूतें करने वाले सफेदपोश बिजनेस मैन काली गायकवाड़ (विजय सेतुपति) से फिरौती की एक मोटी रकम लेता है और उसे कर्ज में डूबे उन किसानों के बैंक अकाउंट में जमा करा देता है। ये किसान बैंक के कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या को मजबूर हो चुके थे।
काली को ये पैसे इसलिए भी देने पड़ते हैं, क्योंकि उस मेट्रो में उसकी बेटी भी थी। सिस्टम के मारी लाचार और पीड़ित आम जनता का मसीहा आजाद यहीं तक नहीं रुकता। वह अपनी जांबाज लड़कियों की टोली के साथ हेल्थ मिनिस्टर को अगवा करके सरकारी अस्पतालों में चल रहे करप्शन और दुर्दशा का भंडाफोड़ करता है और महज पांच घंटों में उसे सुधरवाता भी है। आजाद की असलियत का पता लगाकर उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस चीफ नर्मदा (नयनतारा) को अपॉइंट किया जाता है। नर्मदा जिस आजाद को पकड़ने के लिए जी-जान लगा रही है, वही उससे शादी करके उसकी बेटी को अपनाने की पहल करता है। ऐन शादी के दिन नर्मदा को आजाद की असलियत पता चलती है। आजाद की अपनी बैकस्टोरी है। वह सेना में स्पेशल टास्क की जिम्मेदारी निभाने वाले बहादुर देशभक्त विक्रम राठौड़ (शाहरुख खान) का बेटा है।
‘जवान’ की समीक्षा
निर्देशन की बात करें तो एटली की यह फिल्म हर तरह से मसालेदार है। मगर निर्देशक ने उसमें 30 साल का लीप लेकर उसे आज के दौर के मुद्दों से जोड़ा है। किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या का मुद्दा हो या फिर सरकारी अस्पतालों की बदहाली, आम आदमी इस सिस्टम के कुचक्र में कैसे फंसता है, इसे इटली ने एक्शन-इमोशन के साथ परोसा है। फिल्म में दो कहानियां समानांतर ढंग से चलती हैं, जिसमें शाहरुख-नयनतारा वर्तमान में हैं और शाहरुख-दीपिका अतीत में। हालांकि एटली की फिल्म में कई टर्न और ट्विस्ट हैं। इंटरवल का पॉइंट भी दिलचस्प है, मगर कई जगह पर निर्देशक सिनेमैटिक लिबर्टी लेने से नहीं चूके। कहीं-कहीं पर फिल्म मेलोड्रामाटिक भी होती है, मगर किरदार उसे निभा ले जाते हैं। किसान का बेबस होकर फांसी लगाने का दृश्य ह्रदय विदारक है। रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्शन दृश्यों में देश-दुनिया से एक साथ आए 6 एक्शन निर्देशकों का जलवा साफ मालूम पड़ता है। पूरी फिल्म मे शाहरुख खान छाए हुए हैं लेकिन यही एकमात्र कमी भी है कि परदे पर हर समय शाहरुख ही दिखते हैं अलग अलग रूप में। यदि आप शाहरुख के फैन नहीं तो ये कमी आपको महसूस होगी। एक्शन हीरोइन के रूप में नयनतारा पूरी चपलता और स्वैग के साथ प्रस्तुत होती हैं। सुंदर तो लगती ही है। इसके बाद उनके फैंस उत्तर भारत में भी बढ़ जाएंगे। हालांकि, शाहरुख संग केमिस्ट्री के मामले में दीपिका पादुकोण बाजी मार ले जाती हैं। विलेन काली के रूप में विजय सेतुपति जितने निर्मम और खूंखार नजर आते हैं, उतने ही फनी भी लगते हैं। वे लगातार विलेन और हीरो की लड़ाई को जारी रखते हैं। स्पेशल अपीयरेंस में ऐश्वर्या की भूमिका में दीपिका पादुकोण फिल्म में चार चांद लगा देती हैं, वहीं सान्या मल्होत्रा और प्रियमणि अपनी छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं। एजाज खान, सुनील ग्रोवर, रिद्धि डिगरा जमे हैं। गर्ल गैंग के रूप में सपोर्टिंग कास्ट भी अच्छी है।
निर्देशन
एटली साउथ के जाने-माने डायरेक्टर हैं। उनकी फिल्मों में भरपूर मसाला होता है। जवान भी ऐसी ही फिल्म है। एटली ने जवान में एक नहीं दो शाहरुख खान रखे हैं, ऐसे में हर सीन और एक्शन का मजा दोगुना हो जाता है। फिल्म पूरी तरह से मसाला एंटरटेनर है और एटली ने मासेस का भरपूर ख्याल भी रखा है।
अभिनय
अभिनय के मामले में शाहरुख खान बेमिसाल है। उनके अलग-अलग लुक धमाल लगते हैं। उन्होंने दिखा दिया है कि वे बॉलीवुड के बादशाह हैं, फिर वह चाहे एक्शन हो या फिर इमोशंस, पूरी फिल्म पर वे राज करते हैं। फिल्म में नयनतारा भी छा गई हैं। उनका रोल बेहतरीन है। एक्टिंग तो उनकी शानदार है ही, उस बार एक्शन में भी हाथ दिखा दिए हैं। कैमियो कर रही दीपिका पादुकोण का अहम किरदार हैं और काफी पावरफुल भी। विजय सेतुपती ने काली के किरदार में जान डाल दी है। उनके डायलॉग में कमाल का पंच है। फिल्म का हर किरदार अपने आप में कम्प्लीट है। संजय दत्त का कैमियो थोड़ा हल्का लगा मुझे। सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि, रिद्धि डोगरा, सुनील ग्रोवर भी ध्यान खींचते हैं और अपने हिस्से में सीन्स को सही अंदाज में निभाया है।
गीत-संगीत
‘जवान’ का गीत-संगीत इसकी सबसे कमजोर कड़ी है जिसे बैकग्राउंड म्यूजिक ने काफी हद बचा लिया है। फिल्म में 5 गाने हैं लेकिन कोई भी हिट होने लायक नहीं लगता। कोई भी गीत ऐसा नहीं लगा जिसे हम 2 साल बाद सुनना चाहें। अनिरुद्ध रविचंद्रन का बैकग्राउंड म्यूजिक दमदार है जिसने फिल्म के सीन्स को ऊपर उठाया है।
देखें या न देखें
शाहरुख खान अलग-अलग लुक में हैं, खूबसूरत नयनतारा का दिलकश अंदाज है और हैरतअंगेज एक्शन भी। विजय सेतुपती का विलेन के रूप में काली अवतार है, ढेर सारा एक्शन है ग्लैमर है। यह फिल्म उन लोगों के लिए ‘मस्ट वॉच’ है जो एक कम्प्लीट एंटरटेनर देखने के शौकीन हैं। मसाला फिल्म के रूप में मुझे एक ही कमी महसूस हुई कि लगभग हर मिनट में शाहरुख खान हैं तो यदि आप शाहरुख के फैन नहीं तो आपको खास नहीं लगेगी। वैसे सिनेमा और बॉक्स ऑफिस के दृष्टिकोण से अच्छी फिल्म है। रेटिंग- 3.5/5 ~गोविन्द परिहार (20.09.23)