08/05/2025

फ़िल्म समीक्षा: रेड 2

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अजय देवगन एक बार फिर इनकम टैक्स ऑफ़िसर अमय पटनायक बनकर लौटे हैं। 2018 में रिलीज़ ‘रेड’ एक हिट फ़िल्म थी जो सच्ची घटना पर आधारित थी। रेड 2 में मनगढ़ंत कहानी बुनी गयी है। कुछ पात्र वही हैं कुछ बदल दिए गए हैं। एक तरह से सीक्वल है लेकिन पूरी तरह नहीं। सीरीज भी कह सकते हैं और सीक्वल भी। फिल्म में अजय देवगन, रितेश देशमुख के अलावा अमित सियाल, वाणी कपूर, यशपाल शर्मा, सुप्रिया पाठक मुख्य भूमिका हैं।

‘रेड 2’ की कहानी

पिछली ‘रेड’ से परिचित दर्शक जानते हैं कि आयकर आयुक्त अमय पटनायक (अजय देवगन ) भ्रष्टाचार का काला धंधा करने वालों के लिए काल हैं। वह अतीत में भी टैक्स की चोरी करने वालों के छक्के छुड़ा चुका है और कहानी फिर वहीं से शुरू होती है। अमय अपने खास अंदाज में रात को राजा साहब (गोविंद नामदेव) के यहां रेड मारता है और राजा साहब का कालाधन बरामद करने में कामयाब भी हो जाता है लेकिन अगले दिन खबर आती है कि अमय ने इस छापे में 2 करोड़ की घूस खाई है। ईमानदार अमय की ऐसी हरकत किसी के लिए भी विश्वास के लायक नहीं है, मगर रेड के बाद तबादलों के लिए मशहूर अमय का 74वां ट्रांसफर कर दिया जाता है।

‘रेड 2’ की समीक्षा

इस बार कहानी में दादा भाई धनकर (रितेश देशमुख) जो एक युवा राजनेता है, केबिनेट मंत्री भी हैं, के साम्राज्य जैसे घर पर छापा पड़ा है। दादा भाई जनता के लिए भगवान जैसे हैं लेकिन बहुत बड़े टैक्स चोर हैं! अमय पटनायक (अजय देवगन) इनकी टैक्स चोरी पकड़ने के लिए अपना ट्रांसफर इनके गृहनगर में करवाते हैं! इसके बाद शुरू होता है इन दोनों में शह और मात का खेल, जिसमें पहले तो दादा भाई जीत जाते हैं लेकिन आखिर में असली जीत तो हीरो की ही होनी थी, तो होती है। कहानी में काफी कुछ पहले से अनुमान लगाया जा सकता है! छोटे मोटे ट्विस्ट आते हैं लेकिन कोई बहुत दमदार ट्विस्ट नहीं! पहले 20-25 मिनट बहुत नाटकीय लगते हैं। इसके बाद कहानी में रोचकता बढ़ती है क्योंकि सबको पता है रेड मारी है तो काला धन तो निकलेगा लेकिन कहाँ से निकलेगा इसमें क्रिएटिविटी की बहुत गुंजाइश रहती है! और ये क्रिएटिविटी लेखक-निर्देशक के हाथ में है कि कैसे और कितना खज़ाना, धन या सोना कहाँ छुपाना है? यही दर्शक की जिज्ञासा है जिसे निर्देशक ने बखूबी पकड़ा है और दिखाया है।

अभिनय एवं तकनीकी पक्ष

अजय देवगन ने हमेशा की तरह आंखों से अच्छा अभिनय किया है लेकिन रितेश देशमुख ने भी आंखों से दमदार अभिनय किया है। उन्होंने खुद को नेगेटिव रोल में बहुत अच्छी तरह पेश किया है। उनका किरदार ओवर हो सकता था लेकिन हुआ नहीं। भ्रष्ट अधिकारी के रोल में अमित सियाल ने जबरदस्त अभिनय किया है! उनका अभिनय फ़िल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। वाणी कपूर ने अमय की पत्नी का रोल किया है जो इस केस में अमय की मदद भी करती है। हालाँकि पत्नी का ये रोल पिछली फ़िल्म में इलियाना डिक्रूज का था, इसमें क्यों हटा दिया, इसका कोई जिक्र नहीं किया जो थोड़ा अटपटा लगा। पिछली फ़िल्म के विलेन राजाजी (सौरभ शुक्ला) भी हैं और उनके हिस्से में अच्छे संवाद भी आये हैं। फ़िल्म के अधिकांश संवाद दमदार हैं जो कहानी को रोचक बनाते हैं। तमन्ना का आयटम सॉन्ग भी है जो आजकल हर दूसरी फ़िल्म में होता है। एक पुराना गाना है जो सही जगह प्रयोग किया गया है। यशपाल शर्मा का छोटा मगर प्रभावशाली किरदार कहानी को नया मोड़ देता है, वे थोड़े से दृश्यों में भी छाप छोड़ जाते हैं। ठीक उसी तरह बृजेंद्र काला भी अपने अभिनय से अपने किरदार को यादगार बनाते हैं। मां के रोल में सुप्रिया पाठक भी खूब जमी हैं। अजय और वाणी की बेटी के रूप में नन्ही बाल कलाकार ने मासूम अभिनय किया है। अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनावपूर्ण माहौल को बनाए रखता है। ‘तुम्हे दिल्लगी’ जैसे गाने पहले से परिचित हैं और भावनात्मक गहराई जरूर लाते हैं, लेकिन कोई खास नयापन महसूस नहीं होता।

देखें या न देखें

पहले पार्ट की तरह दमदार तो नहीं, लेकिन कलाकारों के दमदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है। ⭐⭐⭐ ~गोविन्द परिहार  (03.05.25)

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