गाइड / Guide (1966)
शैली- ड्रामा-म्यूजिकल-रोमांस (3 घंटे 3 मिनट) रिलीज– 2 अप्रैल, 1966
निर्माता- विजय आनंद निर्देशक– देव आनंद
पटकथा- विजय आनंद मूल लेखक– आर के नारायण
गीतकार- शैलेन्द्र संगीतकार– सचिन देव बर्मन
संपादन- विजय आनंद सिनेमैटोग्राफ़ी– फ़ली मिस्त्री
मुख्य कलाकार
- देव आनन्द – राजू गाइड
- वहीदा रहमान – रोज़ी मार्को/मिस नलिनी
- लीला चिटनिस – राजू की माँ
- अनवर हुसैन – राजू का दोस्त ग़फ़्फ़ूर
- उल्हास – राजू का मामा
- किशोर साहू – मार्को
- कृष्ण धवन – इंस्पेक्टर गिरधारी
कथावस्तु
राजू एक गाइड है, जो पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों में घुमाकर अपनी कमाई करता है। एक दिन, एक अमीर और बूढ़ा पुरातत्वविद् मार्को (किशोर साहू) उनकी युवा पत्नी रोज़ी (वहीदा रहमान), जो कि एक वेश्या की बेटी है, के साथ शहर में आता है। मार्को शहर के बाहर गुफाओं में कुछ शोध करना चाहता है और अपने गाइड के रूप में राजू को काम देता है। रोज़ी राजू को बताती है कि वह एक वेश्या की बेटी है और वह समाज में सम्मान हासिल करने के लिए कैसे मार्को की पत्नी बनी, लेकिन उसके लिए उसने एक बड़ी कीमत चुकाई है क्योंकि उसे नृत्य का जुनून है जबकि यह मार्को को सख़्त नापसंद है। इस बीच, रोज़ी जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश करती है। राजू, रोजी के प्रति आकर्षित हो जाता है। रोज़ी, मार्को को छोड देती है और राजू के गांव जाती है लेकिन राजू के समाज में भी उसे वैश्या ही माना जाता है।
गीत-संगीत
गाइड के सभी गीत शैलेन्द्र ने लिखे हैं जिन्हें संगीत में पिरोया है सचिन देव बर्मन साहब ने। फ़िल्म में कुल 10 गाने हैं जो लता मंगेशकर, मो. रफ़ी, मन्ना डे और किशोर कुमार ने गाये हैं। फ़िल्म के 2 गीत स्वयं सचिन देव बर्मन ने भी गाये हैं।
- “आज फिर जीने की तमन्ना है” (लता मंगेशकर)
- “दिन ढल जाये” (मो. रफ़ी)
- “गाता रहे मेरा दिल” (किशोर कुमार, लता मंगेशकर)
- “क्या से क्या हो गया” (मो. रफ़ी)
- “पिया तोसे नैना लागे रे” (लता मंगेशकर)
- “सइंया बेईमान” (लता मंगेशकर)
- “तेरे मेरे सपने” (मो. रफ़ी)
- “वहाँ कौन है तेरा” (सचिन देव बर्मन)
- “हे राम हमारे रामचन्द्र” (मन्ना डे और साथी)
- “अल्लाह मेघ दे पानी दे” (सचिन देव बर्मन)
सम्मान एवं पुरस्कार
गाइड हिन्दी सिनेमा इतिहास की महान फ़िल्मों में शुमार की जाती है। इसने 1 नेशनल अवार्ड के अतिरिक्त 7 फ़िल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किये हैं। इसे ऑस्कर के लिए भी नामित किया गया था।
- राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार– तीसरी सर्वश्रेष्ठ फ़िचर फ़िल्म (हिन्दी)
- फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
- सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार – देव आनन्द
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – देव आनन्द
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार – वहीदा रहमान
- सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार – विजय आनन्द
- सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार – आर के नारायण
- सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार – विजय आनन्द
- सर्वश्रेष्ठ छायाकार पुरस्कार – फ़ाली मिस्त्री
रोचक तथ्य
- ये फिल्म आर के नारायण की उपन्यास ‘द गाइड’ पर आधारित है। रिलीज के बाद इस फिल्म के बारे में सभी का मानना था कि इस तरह की फिल्म सालों में एक बार बनती है।
- उपन्यास में राजू रोज़ी का प्यार पाने के लिये जतन करता है, लेकिन फ़िल्म में रोज़ी पहले ही अपनी शादी से दु:खी है और मार्को को किसी और के साथ देखकर ख़ुद ही राजू के पास आ जाती है।
- फ़िल्म में राजू की मौत प्रसिद्धि में होती है और वर्षा होने से गांव का अकाल भी दूर हो जाता है, लेकिन उपन्यास में राजू की मौत ग़ुमनामी में होती है और गांव के अकाल ख़त्म होने का भी कोई ज़िक्र नहीं है।
ऑनलाइन उपलब्ध है / Online Available
आधी दुनिया घूमकर देव आनंद को मिली थी ‘गाइड’
कहानी राजू गाइड की, जिसने सबको धोखा दिया और अंत मे साधु बनकर गांव को बचा लिया