हक़ीकत / Haqeekat (1964)
शैली- एक्शन-म्यूजिकल-वॉर (3 घंटे 4 मिनट) रिलीज- 1964
निर्माता/निर्देशक/लेखक- चेतन आनंद
गीतकार- कैफ़ी आज़मी संगीतकार- मदन मोहन
संपादन- एम डी जाधव राव सिनेमैटोग्राफ़ी– सदानंद
मुख्य कलाकार
- धर्मेन्द्र – कैप्टन बहादुर सिंह
- बलराज साहनी – मेजर रणजीत सिंह
- प्रिया राजवंश – एंग्मो
- विजय आनंद – मेजर प्रताप सिंह
- संजय खान – भारतीय सैनिक
- शेख मुख्तार – पीठासीन अधिकारी
- सुधीर– राम सिंह
कथावस्तु
इसकी कहानी 1962 के भारत-चीन युद्ध पर आधारित है। फिल्म का मुख्य कथानक लद्दाख के पहाड़ी इलाके में भारतीय सैनिकों की एक छोटी पलटन से संबंधित है। कैप्टन बहादुर सिंह (धर्मेंद्र) एक उत्साही युवा सैनिक हैं जो लद्दाख में अपनी पलटन के प्रभारी हैं। कश्मीर और लद्दाख की यात्रा पर ब्रिगेडियर सिंह (जयंत) को सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा बढ़ते अतिक्रमण की खबर मिलती है और वह मेजर रणजीत सिंह (बलराज साहनी) को चौकियों को सुरक्षित करने के लिए अपने अधिकारियों को भेजने का आदेश देते हैं। इस प्रकार सैनिकों का संघर्ष शुरू होता है, जो एक चतुर प्रतिद्वंद्वी का सामना करते हुए आगे के निर्देशों का इंतजार करते हैं।
यह क्षेत्र विवादित है, चीन इस पर अपना दावा करता है। भारतीय सैनिकों को पहले गोली न चलाने का आदेश है और परिणामस्वरूप चीनी सैनिक उन्हें प्रभावी ढंग से घेरने और पहले गोली चलाने में कामयाब होते हैं। संख्या में अधिक और कमज़ोर स्थिति में, भारतीय सैनिक पीछे हटने की कोशिश करते हैं लेकिन मौसम उनके ख़िलाफ़ है। कैप्टन बहादुर सिंह यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करते हैं कि उनके सैनिक सुरक्षित रूप से पीछे हट जाएं और इस प्रक्रिया में वे अपने जीवन का बलिदान दे दें। कुछ ही देर बाद उसके सैनिक भी मारे जाते हैं। एक समानांतर लघु कहानी के रूप में, अपनी मृत्यु से पहले, कैप्टन बहादुर सिंह को क्षेत्र में तैनात होने के दौरान एक लद्दाखी लड़की, एंग्मो ( प्रिया राजवंश) से प्यार हो जाता है। बहादुर सिंह एंग्मो के भाई सोनम को भी अपने संरक्षण में लेता है क्योंकि वह एक दिन सैनिक बनने का सपना देखता है। यह फिल्म “भारत की नैतिक जीत” दिखाने की कोशिश करती है।
गीत-संगीत
इस फिल्म के संगीत में कई उल्लेखनीय गाने हैं। संगीत मदन मोहन द्वारा रचित है और सभी गीत कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखे गए हैं।
क्रमांक | गीत | गायक/गायिका | अवधि (मिनट) |
1 | हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा | मोहम्मद रफ़ी , तलत महमूद , मन्ना डे, भूपिंदर सिंह | 07:01 |
2 | अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों | मोहम्मद रफ़ी | 06:06 |
3 | ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है | लता मंगेशकर | 03:51 |
4 | मस्ती में छेड़के तराना कोई दिल का | मोहम्मद रफ़ी | 04:10 |
5 | खेलो ना मेरे दिल से ओ मेरे साजना | लता मंगेशकर | 03:34 |
6 | आई अब की साल दिवाली मुंह पर अपने कुं माले | लता मंगेशकर | 05:07 |
7 | मैं ये सोच कर उसके डर से उठा था | मोहम्मद रफ़ी | 03:17 |
सम्मान एवं पुरस्कार
- राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (1965)- दूसरी सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म (चेतन आनंद)
- फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (1965)- सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन (एमएस सथ्यू)
रोचक तथ्य
- वॉर पर बनी बॉलीवुड की पहली फिल्म है। यह फिल्म सरकार और सेना की सहायता से बनाई गई थी। फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग लद्दाख के लोकेशन पर की गई।
- फिल्म पूरी होने के समय एक बडी घटना यह घटी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया। यह देख निर्देशक चेतन आनंद बहुत दुखी हुए लेकिन उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू की अंतिम यात्रा के दृश्यों को भी अपनी फिल्म के अंत में जोड़ लिया।
- फिल्म में वे वास्तविक दृश्य भी हैं जब इस युद्ध से दो बरस पहले चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झाऊ एन्लाई ने भारत आकर भाई भाई और दोस्ती का आडम्बर रचा था और भारत में झाऊ एन्लाई का स्वागत गर्म जोशी से किया गया था।
- “हकीकत” ने भारतीय सिनेमा में एक साहसिक मील का पत्थर रखा है और दर्शकों को वीरता, साहस और देशभक्ति की भावना से परिचित कराया।