15/05/2024

जागते रहो (1956)

जागते रहो / Jagte Raho (1956)

शैली- कॉमेडी-ड्रामा (2 घंटे 33 मिनट) रिलीज- 1 जनवरी, 1956

निर्माता- राज कपूर निर्देशक- शोम्भू मित्रा, अमित मैत्र

लेखक- ख्वाजा अहमद अब्बास, शोम्भू मित्रा, अमित मैत्र

संपादन– जी जी मयेकर, वसंत सुले सिनेमैटोग्राफ़ी– राधु कर्माकर

मुख्य कलाकार- राज कपूर, प्रदीप कुमार, सुमित्रा देवी, पहाड़ी सानयाल, सुलोचना चटर्जी, डेज़ी ईरानी, मोतीलाल, नाना पालसिकर, इफ़्तख़ार, विक्रम कपूर, मोनी चटर्जी, कृष्णकांत आदि

कथावस्तु

भ्रष्टाचार से ग्रसित भारत में बसे एक बड़े शहर में गाँव से आया भूखा प्यासा एक ग़रीब अनाम आदमी (राज कपूर) पुलिस के डर से एक ऊंची इमारत में घुस जाता है और इस ऊँची इमारत में रहने वाले लोगों के काले कारनामे अपनी आँखों से देख पाने का मौका अनायास ही पा जाता है। यह सफेदपोशों के शान से रहने की इमारत है क्योंकि उन्होंने इस इमारत में रहने के लिये पैसे देकर मकान ख़रीदे हैं। यहाँ अवैध शराब बनाने वाले रहते हैं, यहाँ नकली नोटों को छापने वाले सेठ रहते हैं, यहाँ काला बाज़ारिये भी रहते हैं और नकली दवाइयाँ बनाने वाले भी। राज कपूर न चाहते हुये भी इस इमारत में भिन्न भिन्न लोगों की कारगुजारियों का गवाह बनता है।
वह देखता है कि एक युवती को उसके ही घर में उसके प्रेमी के साथ प्रेमालाप करते हुये जबकि युवती का पिता घर में ही दूसरे ही कमरे में मौजूद है। पिता अपनी पुत्री के प्रेमी को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता है। फ़िल्म बड़ी दिलचस्प स्थितियाँ दिखाती है कि जब इमारत के लोग अंजान घुसपैठिये को खोजते हुए इस युवती के घर के बाहर जमा हो जाते हैं। युवती और उसका प्रेमी इस अंजान और तथाकथित चोर को लोगों के हवाले नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा करने से उनका राज भी खुल जायेगा। ऐसी ही परिस्थितियों से अनाम व्यक्त्ति रुबरु होता रहता है और लोगों की कमज़ोरियाँ ही उसका बचाव भीड़ से करती रहती हैं। कुछ समय बाद परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बन जाती हैं कि उनका पड़ोसी समझता है कि इन महाशय की पत्नी का भी कोई अन्य आशिक है। लोगों की दूसरों के जीवन में बिना मतलब दख़ल देने जैसी सामान्य बुराई पर भी फ़िल्म खूब केंद्रित रहती है।

गीत-संगीत

जागते रहो का गीत संगीत भी कर्णप्रिय है जिसके गीत लिखे हैं शैलेन्द्र और प्रेम धवन ने और संगीतकार हैं सलिल चौधरी।

क्रमांकगीतगायक/गायिकागीतकार
1.ज़िन्दगी ख्वाब है, ख्वाब में झूठ क्या…मुकेशशैलेन्द्र
2.मैं कोई झूठ बोलेयामो. रफ़ी, एस बलबीरप्रेम धवन
3.जागो मोहन प्यारेलता मंगेशकरशैलेन्द्र
शैलेन्द्र
शैलेन्द्र
4.ठंडी ठंडी सावन की फुहारआशा भोसले
5.मैंने जो ली अंगडाईहरिधन, संध्या मुखर्जी

सम्मान एवं पुरस्कार

  • 1957 में चेकोस्लोवाकिया में कार्लोरावैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का ‘ग्रैंड प्रिक्स’ पुरस्कार मिला।
  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1956) में, फिल्म ने मेरिट का प्रमाणपत्र हासिल किया।

रोचक तथ्य

  • जागते रहो भी अन्य क्लासिक फ़िल्मों की तरह बॉक्स ऑफ़िस पर असफल हुई थी लेकिन सोवियत संघ में ब्लॉकबस्टर रूप से हिट रही थी।
  • फ़िल्म को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिलने के बाद राजकपूर ने दोबारा 1957 में रिलीज किया था और इस बार इसने पहले से भी अधिक कमाई की थी।

Loading

संपर्क | अस्वीकरण | गोपनीयता नीति | © सर्वाधिकार सुरक्षित 2019 | BollywoodKhazana.in
Optimized by Optimole