15/05/2024

मुग़ल-ए-आज़म

मुग़ल-ए-आज़म / Mughal-e-Azam (1960)

शैली- ड्रामा-रोमांस (3 घंटे 17 मिनट)  रिलीज- 5 अगस्त, 1960

निर्माता- शापूरजी पलोंजी निर्देशक- के. आसिफ़

लेखक- अमानुल्लाह ख़ान, कमाल अमरोही, के. आसिफ़, वजाहत मिर्ज़ा एहसान रिज़वी

गीतकार- शकील बदायूंनी   संगीतकार- नौशाद

संपादन–  धर्मवीर सिनेमैटोग्राफ़ी– आर. डी. माथुर

मुख्य कलाकार- दिलीप कुमार, मधुबाला, पृथ्वीराज कपूर, दुर्गा खोटे, निगार सुल्ताना, अजीत, एम कुमार, शिल्पी मुराद, जलाल आग़ा, विजयलक्ष्मी, एस नज़ीर, सुरेन्द्र, जॉनी वॉकर, तबस्सुम आदि

कथावस्तु

फ़िल्म अकबर (पृथ्वीराज कपूर) के बेटे शहज़ादा सलीम (दिलीप कुमार) और दरबार की एक कनीज़ नादिरा (मधुबाला) के बीच में प्रेम की कहानी दिखाती है। नादिरा को अकबर द्वारा अनारकली का ख़िताब दिया जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि सलीम और अनारकली में धीरे-धीरे प्यार हो जाता है और अकबर इससे नाखुश होते हैं। अनारकली को कैदखाने में बंद कर दिया जाता है। सलीम अनारकली को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करता है। अकबर अनारकली को कुछ समय बाद रिहा कर देते हैं। सलीम अनारकली से शादी करना चाहता है पर अकबर इसकी इजाज़त नहीं देते। सलीम बगावत की घोषणा करता है। अकबर और सलीम की सेनाओं में जंग होती है और सलीम पकड़ा जाता है। सलीम को बगावत के लिये मौत की सज़ा सुनाई जाती है पर आखिरी पल अकबर का एक मुलाज़िम अनारकली को आता देख तोप का मुँह मोड देता है। इसके बाद अकबर अनारकली को एक बेहोश कर देने वाला पंख देता है जो अनारकली को अपने हिजाब में लगाकर सलीम को बेहोश करना होता है। अनारकली ऐसा करती है। सलीम को ये बताया जाता है कि अनारकली को दीवार में चिनवा दिया गया है पर वास्तव में उसी रात अनारकली और उसकी माँ को राज्य से बाहर भेज दिया जाता है।

गीत-संगीत

फ़िल्म मुग़ल-ए-आज़म की हिरोइन अनारकली सीना ठोक कर ज़माने के सामने ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गाकर अपनी मोहब्बत का इज़हार करती है और शायद सबसे ज़्यादा मुख्य आकर्षण रहा मधुबाला का नृत्य। संगीत दिया है नौशाद साहब ने और गीत के बोल लिखे हैं शकील बदायूंनी ने।

  1.  “मोहे पनघट पे” (लता मंगेशकर व समूह) 04:02 मिनट
  2.  “प्यार किया तो डरना क्या” (लता मंगेशकर व समूह) 06:21 मिनट
  3.  “मुहब्बत की झूठी” (लता मंगेशकर) 02:40 मिनट
  4. “हमें काश तुमसे मुहब्बत” (लता मंगेशकर) 03:08 मिनट
  5.  “बेकस पे करम कीजिए” (लता मंगेशकर) 03:52 मिनट
  6. “तेरी महफ़िल में” (लता मंगेशकर, शमशाद बेगम व समूह) 05:05 मिनट
  7.  “ये दिल की लगी” (लता मंगेशकर) 03:50 मिनट
  8. “ऐ इश्क़ ये सब दुनियावाले” (लता मंगेशकर) 04:17 मिनट
  9.  “खुदा निगह्बान” (लता मंगेशकर) 02:52 मिनट
  10.  “ऐ मुहब्बत जिंदाबाद” (मोहम्मद रफ़ी व समूह) 05:03 मिनट
  11.  “प्रेम जोगन बनके” (उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ) 05:03 मिनट
  12.  “शुभ दिन आयो राजदुलारा” (उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ) 02:49 मिनट

सम्मान एवं पुरस्कार

  1. राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (1960)- सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म
  2. फ़िल्मफ़ेयर (1960)- सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
  3. फ़िल्मफ़ेयर (1960)- सर्वश्रेष्ठ निर्देशक- के. आसिफ़
  4. फ़िल्मफ़ेयर (1960)- सर्वश्रेष्ठ छायाकार- आर.डी. माथुर
  5. फ़िल्मफ़ेयर (1960)- सर्वश्रेष्ठ संवाद- अमानुल्लाह ख़ान, कमाल अमरोही, वजाहत मिर्ज़ा, एहसान रिज़वी

रोचक तथ्य

  • ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को बनाने में 14 साल लगे थे। आजादी से पहले 1946 में मुग़ल-ए-आज़म की शूटिंग शुरू हो चुकी थी।
  • मुग़ल-ए-आज़म फ़िल्म उर्दू, तमिल और अंग्रेज़ी में बनी थी।
  • प्यार किया तो डरना क्या… शकील बंदायूनी ने लिखा है। म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद का अप्रूवल मिलने से पहले इसे 105 बार लिखा गया था।
  • पहले एक साल में सिर्फ़ पृथ्वीराज कपूर और दुर्गा खोटे के दृश्य शूट हुए थे। पूरे वर्ष के दौरान मात्र एक सेट के दृश्य ही शूट हुए।
  • शीश महल के सेट को बनाने में पूरे दो साल लगे। इसमें इस्तेमाल हुआ ज्यादातर शीशा खासतौर से बेल्जियम से मंगाया गया।
  • भारतीय सेना की 56 जयपुर रेजीमेंट के 2000 ऊंट, 400 घोड़े और 8000 सैनिकों के साथ शूट किया गया था। यह सीन भारतीय रक्षा मंत्रालय की खास परमिशन के साथ फिल्माया गया था, जो अब लगभग असंभव है।
  • “जब प्यार किया तो डरना क्या” गाने की शूटिंग रंगीन हुई थी, बाक़ी पूरी फ़िल्म ब्लैक एंड व्हाइट थी। इस गाने की शूटिंग के पीछे 1 करोड़ रूपए खर्च कर दिए गए थे, जबकि उस ज़माने में 10 लाख रुपयों में भव्य फ़िल्म बन जाती थी।
  • फ़िल्म की शूटिंग इतनी लम्बी चली कि कई दृश्यों में दिलीप कुमार की उम्र अधिक और कई में कम लगती थी।
  • इस फ़िल्म के 150 प्रिंट एक साथ प्रदर्शित किए गए जो कि एक कीर्तिमान था।

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