15/05/2024

नया दौर (1957)

नया दौर / Naya Daur (1957)

शैली- ड्रामा-म्यूजिकल-रोमांस (2 घंटे 53 मिनट) रिलीज- 15 अगस्त, 1957

निर्माता/निर्देशक- बी. आर. चोपड़ा

पटकथा- अख्तर मिर्ज़ा

संपादन– प्राण मेहरा  सिनेमैटोग्राफ़ी– एम मल्होत्रा

मुख्य कलाकार- दिलीप कुमार, वैजयंती माला, अजित, जॉनी वॉकर, डेज़ी ईरानी, चांद उस्मानी, जीवन, नासिर हुसैन, नजीर हुसैन, मनमोहन कृष्णा, लीला, प्रतिमा देवी आदि

कथावस्तु

औद्योगिक क्रांति के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 1957 में आयी फ़िल्म ‘नया दौर’ में मशीन और मनुष्य के बीच की लड़ाई को दिखा गया है। बी. आर. चोपड़ा को सामाजिक मुद्दों पर प्रगतिशील फ़िल्में बनाने का श्रेय जाता है। फ़िल्म में दिलीप कुमार एक ऐसे तांगे वाले की भूमिका में हैं जो एक संपन्न व्यापारी को चुनौती देता है। यह व्यापारी तांगों की जगह सड़कों पर बसों की स्वीकार्यता बढ़ाने के प्रयास में ग़रीब तांगे वालों के हितों की अनदेखी करता है। इसकी कहानी हमारे समाज और देश की मुख्यधारा के उसी सिनेमा की है जिसमें शंकर (दिलीप कुमार) और कृष्णा (अजीत) नाम के दोस्तों की कहानी है जो एक दूसरे पर जान देते हैं लेकिन उनके बीच जब एक लड़की रजनी (वैजयंती माला) आ जाती है तो न केवल उनकी दोस्ती के मायने बदल जाते हैं बल्कि गांव के ज़मींदार (नासिर हुसैन) के शहर से पढकर लौटे बेटे (जीवन) के गांव में आरा मशीन और लॉरी लाने के बाद तो वे एक दूसरे के दुश्मन भी हो जाते हैं।

गीत-संगीत

साहिर लुधियानवी के लिखे और ओ.पी. नैयर के संगीत से सजे गीत आज सत्तर साल बाद भी पुराने नहीं पड़े हैं और आज भी यह गाने सदाबहार है। हर एक गीत के बोल सुनने में जितने सरल है उनका अर्थ उतना ही गूढ़ है। हर गाना एक अलग ही अंदाज़ में गाया गया है। सुप्रसिद्ध दिवंगत संगीतकार ओ.पी. नैयर का संगीत इस फ़िल्म में चार चांद लगा देता है।

  1. आना है तो आ (मो. रफ़ी)
  2. दिल लेके दगा देंगे (मो. रफ़ी)
  3. मैं बम्बई का बाबू (मो. रफ़ी)
  4. ये देश है वीर जवानों का (मो. रफ़ी, एस. बलबीर)
  5. मांगके साथ तुम्हारा, मैंने मांग लिया संसार (आशा भोसले, मो. रफ़ी)
  6. उडे जब जब ज़ुल्फें तेरी (आशा भोसले, मो. रफ़ी)
  7. साथी हाथ बढाना (आशा भोसले, मो. रफ़ी)
  8. रेशमी सलवार, कुर्ता जाली का (आशा भोसले, शमशाद बेगम)

सम्मान एवं पुरस्कार

  1.  फ़िल्मफ़ेयर (1958) सर्वश्रेष्ठ अभिनेता- दिलीप कुमार
  2.  फ़िल्मफ़ेयर (1958) सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक- ओ.पी. नैयर
  3.  फ़िल्मफ़ेयर (1958) सर्वश्रेष्ठ कहानी- अख़्तर मिर्ज़ा

रोचक तथ्य

  • वर्ष 2007 में इसे रंगीन करके दोबारा रिलीज किया गया लेकिन इसे व्यावसायिक सफलता नहीं मिल पायी थी। हालांकि इस फ़िल्म को रंगीन बनाने में क़रीब ₹ 3 करोड़ और तीन साल लगे।

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