15/05/2024

सत्यकाम (1969)

सत्यकाम / Satyakam (1969)

शैली- ड्रामा (2 घंटे 55 मिनट) रिलीज- 4 अप्रैल, 1969

निर्माता- शेर जंग सिंह पंछी निर्देशक- ऋषिकेश मुखर्जी

लेखक- नारायण सान्याल पटकथा– राजिन्दर सिंह बेदी

गीतकार- कैफ़ी आज़मी संगीतकार- लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल

संपादन– दास दाईमेड सिनेमैटोग्राफ़ी– जयवंत पठारे

मुख्य कलाकार

  • धर्मे्न्द्र – सत्यप्रिय आचार्य/ सत्य / आचार्य जी
  • अशोक कुमार – सत्य शरण आचार्य, दादाजी
  • संजीव कुमार – नरेन्द्र शर्मा / नरेन
  • शर्मिला टैगोर – रंजना
  • रोबी घौष – अनंतो चटर्जी
  • डेविड – रुस्तम
  • तरुण बोस – श्रीमान लाडिया
  • राजन हक्सर – श्याम सुन्दर
  • असरानी – पीटर

कथावस्तु

इस फ़िल्म का नायक सत्यप्रिय आचार्य अपने संस्कारों और पूर्वजों के पुण्यों को जीवन में आदर्श की तरह स्थापित करना चाहता है। वह आज़ाद हिन्दुस्तान के स्वर्णिम भविष्य का स्वप्न देखता है और एक ईमानदार, नैतिक और प्रतिबद्ध मानवीय मूल्यों को जीते हुए, उन मूल्यों की वकालत करता है। वह अपने निश्चयों में दृढ है और इंजीनियर जैसे पेशे में रहकर अपने आसपास की उन तमाम बुराइयों, भ्रष्टाचार, कामचोरी, बेईमानी सबके विरुद्ध सीना तान कर खड़ा होता है। वह बलात्कार की शिकार गर्भवती नायिका से विवाह करके उसे तथा उसके होने वाले बच्चे की सामाजिक प्रतिष्ठा की भी रक्षा करता है।

सत्यकाम, ऋषिकेश मुखर्जी की सबसे अच्छी फ़िल्मों में से है। उन्होंने बहुत ही अच्छे विषय को लेकर एक बहुत ही प्रभावशाली फ़िल्म बनायी है। इस विषय पर इतनी अच्छी और रोचक फ़िल्म हिन्दी सिनेमा में बहुत ही कम हैं और निस्संदेह सत्यकाम इस श्रेणी की फ़िल्मों में सर्वोच्च स्थान रखती है। यह फ़िल्म अपने आप में जीवन मूल्यों का एक ऐसा अनूठा और आदर्श दर्शन है जिसकी मिसाल आज भी संजीदा फ़िल्मकार और कलाकार देते हैं।

गीत-संगीत

इस फ़िल्म का संगीत दिया लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल की जोड़ी ने और कुल 3 गीत है जिसे कैफ़ी आज़मी ने लिखा है।

  1. ज़िन्दगी है क्या बोलो (किशोर कुमार, मुकेश, महेन्द्र कपूर)
  2. दो दिन की ज़िन्दगी (लता मंगेशकर)
  3. अभी क्या सुनोगे (लता मंगेशकर)

सम्मान एवं पुरस्कार

सत्यकाम को 1 फ़िल्मफेयर और 1 राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से नवाजा गया।

  1. फ़िल्म फेयर पुरस्कार 1971- सर्वश्रेष्ठ संवाद (राजिन्दर सिंह बेदी)
  2. राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म

रोचक तथ्य

  • फ़िल्म का शीर्षक छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय सत्यकाम जाबाल से लिया गया है।
  • फ़िल्म की पूरी कहानी नारायण सान्याल के बंगाली उपन्यास ‘सत्यकाम’ पर आधारित है।
  • 1971 में इस फ़िल्म का तमिल रीमेक ‘पुन्नागई’ प्रख्यात फ़िल्म निर्माता के. बालाचंदर ने बनाया था।

यू-ट्यूब पर उपलब्ध हैं

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