15/05/2024

फ़िल्म समीक्षा: रनवे 34

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2008 में ‘यू मी और हम’, 2016 में ‘शिवाय’ के बाद अब ‘रनवे 34’ (Runway 34) अजय देवगन की तीसरी निर्देशित फ़िल्म हैं। अजय देवगन एक अच्छे निर्देशक हैं ये एक बार फिर से साबित किया है उन्होंने। पहले इस फ़िल्म का नाम मेडे था जो बाद रनवे 34 कर दिया गया। ‘मेडे’ शब्द का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है, जब विमान और उसमें मौजूद यात्री किसी बड़े संकट में हों। इस शब्द का इस्तेमाल एविएशन या मरीन ट्रैफिक कंट्रोल के लिए बनी टर्मिनोलॉजी के तहत किया जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल पायलेट उस समय करता है जब उसे अहसास हो कि उसकी और यात्रियों की जान खतरे में है।

‘रनवे 34’ की कहानी

फ़िल्म की कहानी ‘दोहा-कोच्चि’ उड़ान की सच्ची कहानी से प्रेरित है। यह घटना 2015 में हुई थी जब खराब मौसम और कम विजीबिलिटी के कारण कोचीन हवाई अड्डे पर उतरने में कठिनाइयों का सामना करने के बाद फ्लाइट बाल-बाल बच गई थी। अजय देवगन ने पायलट का मुख्य किरदार निभाया है जिसमें उनका साथ देती हैं रकुलप्रीत सिंह जो सहायक पायलट हैं। अमिताभ बच्चन एक जांच अधिकारी के किरदार में हैं जो घटना के बाद अजय देवगन को सवालों के घेरे में खड़ा करते हैं। फ़िल्म में बोमन ईरानी भी हैं जो विमान कंपनी के मालिक हैं।

अभिनय एवं तकनीकी पक्ष

फ़िल्म का निर्देशन बहुत बढिया है जो खुद अजय देवगन ने किया है क्योंकि पूरी फ़िल्म दर्शक को बांधने में कामयाब रहती है जो निश्चित ही निर्देशक की सफलता है। फ़िल्म में जबरदस्त रोमांच है, कहानी नयी है, सभी मुख्य कलाकार मंझे हुए हैं इसलिये सभी अपना काम बेहतर तरीके से करते हैं। अजय का अभिनय ठीक-ठाक है लेकिन कहीं कहीं उन्होंने बेकार में हीरो बनने की कोशिश की है जो जरूरी नहीं थी। यदि आप अजय देवगन के फैन नहीं है तो एकाध सीन आपको फालतू लगेगा क्योंकि फ़िल्म के 95 प्रतिशत सीन में अजय देवगन ही स्क्रीन पर रहते हैं। कई सीन जरूरी नहीं है, इसे एडिटर की कमी कह सकते हैं। चूंकि अजय देवगन खुद निर्माता-निर्देशक हैं तो एडिटर भी उनके सीन नहीं काट पाया हो। फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है जो थ्रिल पैदा करता है।

देखें या न देखें

कुछ मिलाकर ‘रनवे 34’ देखने लायक है!! ~गोविन्द परिहार (02.06.22)

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